सिर पदमपत सिंघानिया विश्वविद्यालय (एसपीएसयू), उदयपुर का 12वां दीक्षांत समारोह दिनांक 28 अक्टूबर 2025 को भव्यता और उत्साह के साथ आयोजित हुआ। यह अवसर शिक्षा, मूल्य और राष्ट्रीय चेतना का संगम बना। समारोह में राजस्थान के राज्यपाल श्री हरिभाऊ किसनराव बागड़े मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अपने प्रेरणादायी संबोधन में उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह शिक्षा का अंत नहीं बल्कि अर्जित ज्ञान को व्यवहारिक जीवन में लागू करने की शुरुआत है।

राज्यपाल श्री बागड़े ने विद्यार्थियों को राष्ट्र निर्माण में अपने ज्ञान का उपयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा — “दीक्षांत समारोह शिक्षा का अंत नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन में ज्ञान के प्रयोग की शुरुआत है।” उन्होंने विद्यार्थियों से विनम्रता, अनुशासन और करुणा के साथ आगे बढ़ने का आग्रह किया तथा चेताया कि ज्ञान का अहंकार नहीं, सेवा का माध्यम बनना चाहिए।

समय का सदुपयोग और जिम्मेदारी का भाव
राज्यपाल बागड़े ने समय प्रबंधन के महत्व पर बल देते हुए कहा कि भारतीय दर्शन के अनुसार जीवन के पहले 25 वर्ष सीखने और आत्मविकास के लिए समर्पित होने चाहिए। उन्होंने कहा — “समय किसी भी दुकान से नहीं खरीदा जा सकता, इसलिए इसे बुद्धिमानी से उपयोग करें।”
अनुशासन का संदेश — छोटी आदतों में भी सीख
राज्यपाल ने भारतीय संसद के पहले अध्यक्ष जी.वी. मावलंकर से जुड़ा एक प्रसंग साझा करते हुए भोजन की बर्बादी के विरुद्ध संदेश दिया। उन्होंने कहा — “यदि हम अपनी थाली आवश्यकता से अधिक भरते हैं और भोजन व्यर्थ जाने देते हैं, तो यह हमारी अनुशासनहीनता का प्रतीक है।” उन्होंने बताया कि जीवन के छोटे कार्यों में भी संयम, योजना और अनुशासन झलकना चाहिए।
विकसित भारत 2047 का संकल्प
राज्यपाल बागड़े ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की चर्चा की और युवाओं से इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने मेवाड़ की शौर्यगाथा और भारत की ज्ञानपरंपरा से प्रेरणा लेने की बात कही तथा विद्यार्थियों को अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से राष्ट्र सेवा में योगदान देने के लिए प्रेरित किया।
शैक्षणिक उत्कृष्टता का गौरवशाली क्षण
समारोह में इंजीनियरिंग और प्रबंधन संकायों के 331 छात्रों को डिग्रियां प्रदान की गईं। समारोह की अध्यक्षता कुलाधिपति एवं चेयरपर्सन डॉ. निधिपति सिंघानिया ने की।
डॉ. निधिपति सिंघानिया ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि एसपीएसयू निरंतर वैश्विक शिक्षा के मानकों के अनुरूप प्रगति कर रहा है और यह विश्वविद्यालय न केवल तकनीकी उत्कृष्टता बल्कि मानवीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा — “हमारा उद्देश्य केवल सफल पेशेवर तैयार करना नहीं, बल्कि ऐसे जिम्मेदार नागरिक बनाना है जो समाज में सार्थक योगदान दें।”
कुलपति प्रो. (डॉ.) पृथ्वी यादव ने अपने संबोधन में एसपीएसयू के परिवर्तन और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि एसपीएसयू राजस्थान का पहला सतत विकास आधारित विश्वविद्यालय बन चुका है। उन्होंने उद्योग-अकादमिक साझेदारी, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, शोध कार्यों और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना जैसे प्रमुख मील के पत्थरों का उल्लेख किया। डॉ. यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय ऐसे विद्यार्थियों का निर्माण कर रहा है जो समाज, पर्यावरण और राष्ट्र के विकास में संतुलित योगदान दें।
मानद उपाधियां और पदक सम्मान
विश्वविद्यालय ने तीन विशिष्ट हस्तियों को उनके-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान हेतु मानद उपाधि (Honoris Causa) से सम्मानित किया:
श्री सेड्रिक डी’सूजा, प्रसिद्ध हॉकी कोच
श्री मनोज सिंघल, उद्योगपति, शिक्षाविद और समाजसेवी
श्रीमती अर्चना पूरण सिंह, प्रसिद्ध अभिनेत्री एवं टेलीविज़न व्यक्तित्व
चेयरपर्सन स्वर्ण पदक सर्वोच्च सीजीपीए (CGPA) प्राप्त करने वाले गुडापल्ली श्री हरी (बी.टेक, सीएसई) को प्रदान किया गया।
प्रेसिडेंट पदक से सम्मानित छात्र:
नमन जैन – एमसीए
गुडापल्ली श्री हरी – बी.टेक (सीएसई)
चित्रा मालवीय – एमबीए
देविका मुंद्रा – बीबीए
गौरवशाली उपस्थिति और प्रेरक पल
समारोह में डॉ. राघवपत सिंघानिया (प्रबंध निदेशक, जे.के. सीमेंट लिमिटेड), श्री माधवकृष्ण सिंघानिया (संयुक्त एमडी एवं सीईओ, जे.के. सीमेंट लिमिटेड), श्री अजय कुमार सराओगी (उप-प्रबंध निदेशक एवं सीएफओ, जे.के. सीमेंट लिमिटेड), कर्नल (डॉ.) संजय सिन्हा (उपाध्यक्ष एवं प्रमुख – शिक्षा, जे.के. सीमेंट), श्री मंगल देव (हेड – हिताची रेलवे सिस्टम्स, बिजनेस इंडिया एंड साउथ एशिया), प्रो. नलिनाक्ष व्यास (आईआईटी कानपुर), और श्री ध्रुव अग्रवाल (प्रेसिडेंट स्ट्रैटेजी, पैरामाउंट कम्युनिकेशंस लिमिटेड) सहित कई प्रतिष्ठित गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
राष्ट्रीय भावना और गौरव से परिपूर्ण समारोह
समारोह में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार, डीन, संकाय सदस्य, पूर्व छात्र, मीडिया प्रतिनिधि तथा देशभर से आए विशिष्ट अतिथियों ने भाग लिया। इससे पहले, राज्यपाल श्री बागड़े का स्वागत डबोक हवाई अड्डे पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किया गया।
समारोह के समापन पर वातावरण में उल्लास, प्रेरणा और राष्ट्रप्रेम की भावना व्याप्त थी। यह केवल एक दीक्षांत समारोह नहीं, बल्कि ज्ञान, मूल्य और दृष्टि का उत्सव था — जो विद्यार्थियों को भारत के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण हेतु प्रेरित करता रहा।
राज्यपाल श्री बागड़े के शब्दों में —
“ज्ञान का उपयोग राष्ट्र निर्माण के लिए करें — यही शिक्षा का सच्चा उद्देश्य है।”