GMCH STORIES

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में विश्व सिन्धी हिन्दू फाउंडेशन ऑफ एसोसिएशन द्वारा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के मुख्य आतिथ्य में सशक्त समाज

( Read 1095 Times)

24 Nov 25
Share |
Print This Page
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में विश्व सिन्धी हिन्दू फाउंडेशन ऑफ एसोसिएशन द्वारा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के मुख्य आतिथ्य में सशक्त समाज

राजस्थान विधानसभा  के अध्यक्ष और विश्व सिन्धी हिन्दू फाउंडेशन ऑफ एसोसिएशन के संरक्षक श्री वासुदेव देवनानी ने किया सिन्धी समाज का आह्वान*

*प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए अपना पर्याप्त योगदान दे कर समाज की गौरवशाली परम्परा को आगे बढ़ाए*

नई दिल्ली। राजस्थान विधानसभा  के अध्यक्ष और विश्व सिन्धी हिन्दू फाउंडेशन ऑफ एसोसिएशन के संरक्षक श्री वासुदेव देवनानी ने सिन्धी समाज का आह्वान किया है कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए अपना पर्याप्त योगदान दे कर समाज की गौरवशाली परम्परा को आगे बढ़ाए।

उन्होंने वर्तमान डिजिटल युग में विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक सिंध संस्कृति भाषा और सिन्धी समाज पर डिजिटल सिन्धी हेरिटेज प्रोजेक्ट बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

 

श्री देवनानी रविवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में विश्व सिन्धी हिन्दू फाउंडेशन ऑफ एसोसिएशन द्वारा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के मुख्य आतिथ्य में  “सशक्त समाज, समृद्ध भारत” विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर भारत सहित 35 देशों के प्रतिनिधिगण उपस्थित थे। 

लोकसभाध्यक्ष श्री ओम बिरला ने सिन्धी समाज के समृद्ध इतिहास के लेखन की आवश्यकता पर बल दिया।सम्मेलन के दूसरे सत्र के मुख्य अतिथि केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह थे ।

 

 

श्री देवनानी ने कहा कि आधुनिक भारत के विकास में सिंधियों का योगदान किसी से भी कम नहीं रहा है। यही कारण है कि आज देश के कुल इनकम टैक्स देने वालो के  सिंधियों का योगदान 24 प्रतिशत है।

 

उन्होंने कहा कि सिंध संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीनतम संस्कृति है और सिन्धी  भाषा भी विश्व की सबसे समृद्धशाली ऐसी भाषा है जिसकी लिपि में 52 अक्षर है। हमें सिंध और सिन्धी समाज और भाषा पर गर्व होना चाहिए क्योंकि आज भारत ही नहीं विश्व के हर कौने में सिन्धी समाज बसा  हुआ है। यहां तक कि बारबाडोस जैसे सुदूर क्षेत्र में भी सिन्धी समाज के लोग बसे हुए है।

श्री देवनानी ने कहा कि सिन्धी  विभाजन की विभीषिका में अपनी करोड़ों - अरबों  की संपतियों को छोड़ इसलिए भारत आए थे क्योंकि उन्हें अपनी मातृ भूमि ,जीवन मूल्यों और  सनातन धर्म संस्कृति से अथाह प्यार था। सिन्धी समाज के लोगों ने अपना वतन और सब कुछ त्यागने के बाद भारत आकर अपने पुरुषार्थ से अपने आपको को पुनः खड़ा किया तथा आज पुरुषार्थ से परमार्थी बन गए है।

विधानसभाध्यक्ष श्री देवनानी ने प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया जिन्होंने विभाजन के दर्द को महसूस करते हुए हर वर्ष 14 अगस्त को विभीषिका दिवस मानने की घोषणा की है।

 

श्री देवनानी ने सिन्धी समाज के लोगों से अपील की कि  वे अपने आपको सिंधु सभ्यता से जुड़े होने और सिन्धी समाज के होने पर गर्व करें तथा अपने धरों में सिन्धी भाषा में ही बातचीत करें क्योंकि किसी समाज के लिए उसकी अपनी भाषा ही उसकी अपनी पहचान होती है। उन्होंने सभी का आह्वान किया कि वे नई पीढ़ी को भी सिन्धी भाषा और संस्कृति से सुसंस्कृत करें ।

 

विधानसभाध्यक्ष देवनानी ने बताया कि अपने शिक्षा मन्त्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने राजस्थान के अजमेर और कोटा में सिंधु शोध पीठ की स्थापना कराने के साथ ही महाराजा श्री दाहिर सेन, महान क्रांतिकारी श्री हेमू कालानी के साथ ही सिन्धी संतों सन्त तेऊ राम,सन्त चंद्र भगवान,सन्त कंवर राम आदि की जीवनियों को स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल कराया था।

अपने भाषण के अंत में श्री देवनानी ने जिये सिन्ध, जिए हिन्द का नारा दिया।

 

सम्मेलन में इंदौर मध्य प्रदेश के साँसद श्री शंकर लालवानी ने नई दिल्ली में सिंधु भवन बनाने की माँग रखी। इस अवसर पर सिंधी समाज के कई वक्ताओं ने भी अपने विचार प्रकट किए । विश्व सिन्धी हिन्दू फाउंडेशन ऑफ एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ गुरूमुख जगवानी ने सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त किया ।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like