Udaipur | पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) एक प्रकार की मानसिक समस्या है जो किसी भयानक हादसे के बाद उत्पन्न होती है। सड़क दुर्घटना, ऊंचाई से गिरना, कहीं फंस जाना जैसी स्थितियों के बाद व्यक्ति के मानसिक स्तर में बहुत प्रभाव पड़ता है, इसके बाद व्यक्ति को फ्लैशबैक में चले जाना, घटना से जुड़े सपने आना, हाई ऐंग्जाइटी लेवल जैसी मानसिक समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। डॉ. चेतन गोयल, हेड क्रिटिकल केयर, पारस हेल्थ, उदयपुर ने बताया कि इस प्रकार की समस्या से छुटकारा पाने के लिए सबसे पहले व्यक्ति के लक्षणों पर भी गौर करना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि जिस मरीज को यह समस्या होती है वह इस समस्या में इतना उलझा रहता है कि इसके बारे में बता तक नहीं पता और अंदर ही अंदर घुटता रहता है, अगर वह बताता भी है तो कई बार हम भी इसको लापरवाही में ले लेते हैं। इसलिए लक्षणों पर गौर करके मरीज का इलाज बहुत जरूरी है। डॉ. संदीप भटनागर, डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन, पारस हेल्थ, उदयपुर ने बताया कि इसके लक्षणों में मरीज के व्यवहार को समझना पड़ता है कि आखिर उसमें क्या बदलाव आ रहे हैं व्यक्ति सामाजिक व्यवस्थाओं से कटने लगता है, लोगों से घुलना मिलना बंद कर देता है, अकेले रहना पसंद करता है, यदि कभी बहुत बड़ी दुर्घटना घटी है या एक्सीडेंट की घटना घटी है, जिसके बाद वह बच गया है तो वह ठीक होने के बाद भी फ्लैशबैक से निकल नहीं पाता इस खतरनाक घटना को सोचता रहता है। व्यक्ति वास्तविक सच्चाई से दूर रहता है उसे नींद से जुड़ी भी समस्याएं होती हैं, वह रात भर सोच में डूबा रहता है और इस घटना को लेकर डिप्रेशन की स्थिति में भी पहुंच जाता है। ऐसे में मरीज के लक्षणों पर गौर करना चाहिए और उसे तुरंत मनोवैज्ञानिक द्वारा इलाज करवाना चाहिए। यदि आप समय रहते किसी मनोवैज्ञानिक डॉक्टर के पास मरीज को ले जाते हैं तो वह उसका ट्रीटमेंट काउंसलिंग, हिप्नोसिस और दवाइयों के माध्यम से करते हैं। इसीलिए मेरा सुझाव है कि व्यक्ति के लक्षणों पर गौर करें और यदि इस प्रकार की समस्या है तो तुरंत मनोवैज्ञानिक से संपर्क करें।