उदयपुर। सांसद डॉ मन्नालाल रावत ने भील युवाओं के लिए दक्षिण राजस्थान में सेंट्रल ट्राइबल यूनिवर्सिटी की मांग को बुधवार को संसद में प्रमुखता से रखा और कहा कि इससे इस क्षेत्र के युवाओं को नए अवसर प्राप्त होंगे। सांसद डॉ रावत ने इस बात को भी गंभीरता से रखा कि आदिवासी हिंदू है और इसके लिए अलग धर्म कोड की मांग अनुचित है। इस पर गंभीर आपत्ति जताई।
संसद में बुधवार को शीतकालीन सत्र के दौरान शून्यकाल में सांसद ने कहा कि भील जनजाति देश में सबसे बडी अनुसूचित जनजाति में से एक है। मानगढ धाम का बलिदान हो या हल्दीघाटी का युद्द हो, भील जनजाति ने हमेशा से आदिदेव महादेव को साथ लेकर आंदोलन किया है और आक्रांताओं का मुकाबला किया है। भील जनजाति राजस्थान, गुजरात व मध्यप्रदेश में सर्वाधिक निवास करती है जिसकी जनसंख्या लगभग तीन करोड से ज्यादा है। सांसद डॉ रावत ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले सालों में जनजाति के लिए कई सारी योजनाएं चलाई है। प्रधानमंत्री जनमन योजना और धरती आबा योजनाओं के माध्यम से जनजाति उत्थान के लिए बहुत कार्य किया है। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए नोर्थ इस्ट व तेलंगाना में एक-एक सेंट्रल ट्राइबल यूनिवर्सिटी की स्थापना भी की है। सांसद डॉ रावत ने कहा कि भील बाहुल्य क्षेत्र में जहां तीन-साढे करोड लोग निवास करते हैं वहां धरती आबा जनजाति उत्कर्ष अभियान के तहत एक सेंट्रल ट्राइबल यूनिवर्सिटी की स्थापना की जानी चाहिए।
आदिवासी हिन्दू है, अलग धर्म कोड की मांग गलत
सांसद डॉ रावत ने बुधवार को ही संसद में कांग्रेेस के सांसद गोवाल कागडा की मांग को गलत और अनुचित बताते हुए कहा कि पूरे देश में जनजाति समाज हिन्दू है और अलग धर्म कोड की मांग बिल्कुल गलत है जिस पर हम आपत्ति करते हैं।