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छात्रों ने लिया संकल्प—किसी भी परिस्थिति में आत्महत्या का विचार नहीं करेंगे

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16 Dec 25
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छात्रों ने लिया संकल्प—किसी भी परिस्थिति में आत्महत्या का विचार नहीं करेंगे

उदयपुर। महात्मा गांधी गवर्नमेन्ट स्कूल, एकलव्य कॉलोनी में महिला समाज सोसायटी के तत्वावधान में आत्मोत्साह जागरण एवं नैतिक साहस निर्माण को लेकर एक विशेष मोटिवेशनल सत्र का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को आत्महत्या जैसे घातक विचारों से दूर रखते हुए जीवन के प्रति सकारात्मक, आशावादी और साहसपूर्ण दृष्टिकोण विकसित करना रहा।

कार्यक्रम में कक्षा 3 से लेकर 8वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों ने सहभागिता की। सत्र के दौरान बच्चों को यह संदेश दिया गया कि जीवन अनमोल है और किसी भी परिस्थिति में हार मानना समाधान नहीं है।

कार्यक्रम की मुख्य वक्ता माया कुम्मट ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि जीवन हमें कई जन्मों के शुभ कर्मों के फलस्वरूप प्राप्त होता है। इसे बिना सोचे-समझे गँवा देना या कठिनाइयों के सामने घुटने टेक देना किसी भी स्थिति में उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि कठिनाइयाँ जीवन का स्वाभाविक हिस्सा हैं, उनसे भागना कायरता है, जबकि उनका सामना करना ही साहस और चरित्र का परिचायक है।

माया कुम्मट ने विद्यार्थियों को धार्मिक एवं नैतिक उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि हम राम और कृष्ण को मानने वाली संस्कृति की संतान हैं। भगवान राम को राज्याभिषेक के स्थान पर 14 वर्षों का वनवास मिला, लेकिन वे विचलित नहीं हुए। उन्होंने राजसी वस्त्र त्याग कर गेरुए वस्त्र धारण किए, अनेक कष्ट सहे, पर लक्ष्य से नहीं डिगे। दुष्टों और राक्षसों का वध कर माता सीता को वापस लाए और अंततः राज्य प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियां हमें गिराने नहीं, बल्कि परखने आती हैं और हमें धैर्य व दृढ़ता के साथ खड़ा रहना चाहिए।

उन्होंने माता सीता के जीवन प्रसंग का भी उल्लेख करते हुए बताया कि रावण द्वारा हरण किए जाने के बाद भी सीता माँ ने कठिनाइयों और विपदाओं के बीच हार नहीं मानी। उन्होंने रमन ऋषि का प्रेरक प्रसंग सुनाकर यह स्पष्ट किया कि हर समस्या का समाधान संवाद, मार्गदर्शन और सकारात्मक सोच से संभव है। संसार में ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका हल न हो।

मुख्य वक्ता ने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि चाहे प्रेम में धोखा मिले, कम अंक आएं या कोई अन्य परेशानी हो, ऐसे समय में आत्मघातक विचार मन में न लाएं। अपनी समस्याओं को माता-पिता, गुरुजनों और शुभचिंतकों से साझा करें, समाधान खोजें और अपने जीवन को परिवार, समाज और देश के लिए समर्पित करने का संकल्प लें।

कार्यक्रम के अंत में सभी छात्र-छात्राओं को हाथ उठाकर यह संकल्प दिलाया गया कि वे किसी भी परिस्थिति में आत्महत्या का विचार नहीं करेंगे और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखेंगे।

कार्यक्रम में बबीता जैन, प्रधानाध्यापिका सुनीता सहित विद्यालय स्टाफ की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन यशवंत भंसाली ने किया।


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