वेदांता भारत की पहली और सबसे बड़ी महिला अंडरग्राउंड खनन टीम का केंद्र है।
कंपनी का विविधता अनुपात तकरीबन 22 फीसदी, वित्तीय वर्ष 2030 तक 30 फीसदी तक पहुंचने की ओर अग्रसर
खनन में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पहले, वेदांता लिमिटेड ने भारत की सबसे बड़ी महिला अंडरग्राउंड खनन टीम का उत्सव मनाया। वेदांता और हिंदुस्तान ज़िंक ने 2019 में भारत में पहली बार महिलाओं को अंडरग्राउंड खनन में शामिल किया था। कंपनी के विभिन्न व्यवसायों में 550 से अधिक महिलाएं कोर खनन कार्यों में कार्यरत हैं। भारत की अग्रणी ऊर्जा ट्रांजिशन मेटल्स, क्रिटिकल मिनरल्स, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी समूह वेदांता देशभर में अपने परिचालनों में लैंगिक समावेशन को बढ़ावा दे रहा है। 22% से अधिक जेंडर डाइवर्सिटी के साथ, वेदांता के कार्यबल में 3,000 से अधिक महिला कर्मचारी शामिल हैं, जो इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। यह भारत में मेटल्स और माइनिंग सेक्टर में वेदांता के समकक्षों की तुलना में महिला प्रतिनिधित्व का एक प्रभावशाली उदाहरण है।
प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र में पारंपरिक रूप से कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी काफी कम रही है। हालांकि, वेदांता ने इस क्षेत्र में कई ऐतिहासिक पहल की हैं, जैसे देश की पहली भूमिगत महिला खननकर्मी और हिंदुस्तान जिंक में पूरी तरह महिला भूमिगत खान बचाव टीमों का गठन। हिंदुस्तान जिंक के पास तीन पूर्णतः महिला भूमिगत खान बचाव दल हैं, जो भारत में सबसे अधिक हैं। खनन के अलावा, कंपनी की मुख्य धातु उत्पादन प्रक्रियाओं में भी महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय है। उदाहरणस्वरूप, कंपनी के पास पूरी तरह महिला संचालित एल्युमिनियम उत्पादन लाइन (पॉटलाइन) और महिला लोकोमोटिव संचालन इकाई भी है।
अच्छे जॉब कंटेंट तथा इंडस्ट्री 4.0 के माध्यम से टेक-उन्मुख दृष्टिकोण के लिए वेदांता की प्रतिबद्धता के चलते ही यह संभव हो पाया है। रोबोटिक्स एवं ऑटोमेशन ने इस सेक्टर में मानवीय हस्तक्षेप को कम कर कार्य प्रक्रियाओं को मानकीकृत बनाया है। महत्वपूर्ण खनिजों एवं ऊर्जा संक्रमण धातुओं में विश्वस्तरीय उछाल के बीच कंपनी उच्च विकास के इस क्षेत्र में करियर के अवसर प्रदान करती है। वेदांता सभी लिंगों को करियर के एक समान अवसर प्रदान कर सेक्टर में कौशल के अंतराल को दूर करती है। इसके अलावा वेदांता डिजिटल खानों का संचालन भी करती है, जिसमें सरफेस-आधारित भूमिगत खनन (टेली-रिमोट) संचालन, ड्रोन द्वारा निगरानी, रियल-टाईम एनालिटिक्स एवं ऑटोमेशन शामिल है। इन सभी प्रयासों के चलते वेदांता में खनन को करियर के रूप में चुनने वाली महिला पेशेवरों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
इस अवसर पर प्रिया अग्रवाल हेब्बर, नॉन-एक्ज़क्टिव डायरेक्टर-वेदांता लिमिटेड एण्ड चेयरपर्सन- हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड ने कहा, “वेदांता में हम एक समावेशी कार्यस्थल के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं, जहाँ सभी को समान अवसर मिले। महिला-नेतृत्वित विकास आज भारत में सतत विकास का प्रमुख केंद्र बन गया है, और हम इस दिशा में निरंतर प्रयासरत हैं। धातु और खनन क्षेत्र भविष्य के निम्न-कार्बन विकास में अहम भूमिका निभाएगा, और इस क्षेत्र में कौशल अंतर को पाटना आवश्यक है। भारत की पहली भूमिगत महिला खनिकों से लेकर देश की पहली महिला रेस्क्यू टीम तक – वेदांता की महिलाएं हर सीमाओं को तोड़ रही हैं। प्रगतिशील नीतियों के माध्यम से हम इस प्रतिभाशाली महिला शक्ति को सशक्त बनाना और आगे बढ़ाना चाहते हैं। हम एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर रहे हैं जहाँ विविधता नवाचार को प्रेरित करती है, समावेशन प्रगति को तेज करता है, और हर व्यक्ति को एक सार्थक और स्थायी बदलाव लाने का अवसर मिलता है।”
20वीं सदी की शुरूआत में धातु एवं खनन में महिलाओं का काम करना आम बात हो गई थी। हालांकि भारतीय खनन अधिनियम 1923 के द्वारा भूमिगत खानों में महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया और 1937 में ब्रिटिश शासन काल में इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया। हालांकि 1943-1946 के बीच यह प्रतिबंध हटा, और तकरीबन 70,000 महिलाओं को भूमिगत खानों में काम करने की अनुमति दी गई- 80 सालों तक धातु एवं खनन उद्योग को महिलाओं के लिए अनुचित पेशा माना जाता रहा। 2019 में सात खनन इंजीनियरिंग छात्रों के समूह द्वारा एक याचिका दायर किए जाने के बाद सरकार ने अंततः प्रतिबंध हटा लिया और वेदांता की हिंदुस्तान ज़िंक महिला खान इंजीनियरों को भूमिगत खानों में नियुक्त करने वाली पहली कंपनी बन गई।
इस अवसर पर अंडरग्राउण्ड एवं ओपनकास्ट माइनिंग में फर्स्ट-क्लास में परीक्षा पास करने वाली भारत की पहली महिला योगेश्वरी राने, जो अब गोवा में कंपनी की आयरन ओर माईन में काम कर रही हैं, ने कहा, ‘‘मैं गोवा के खनन क्षेत्र से आती हूं, ऐसे में इस क्षेत्र में हमेशा से मेरी खास रूचि थी। वेदांता से मिले अवसरों के चलते मुझे किताबों के दायरे से आगे बढ़कर इस सेक्टर में काम करने का मौका मिला। मुझे यहां अंडरग्राउण्उ ओर ओपनकास्ट दोनों तरह की खानों काम करने का अवसर मिला है, यहां विकास की ढेरों संभावनाएं हैं।
राजस्थान में ज़वार ग्रुप ऑफ माइन्स से संध्या रसकतला जो भारत की पहली भूमिगत महिला खान मैनेजर हैं, ने अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए कहा, ‘‘धातु एवं खनन की दुनिया मुझे हमेशा से लुभाती थी। एक महिला के रूप में मुझे गर्व है कि मैं यहां काम कर रही हूं। मैं खनन उद्योग की पहली महिला थी, जिसे यह एक्सपोज़र मिला। इसके अलावा यहां हमें पुरूषों के साथ मिलकर अनुकूल वातावरण में काम करने का मौका मिलता है, हम सभी एक साथ मिलकर सीखते हैं, काम करते हैं और आगे बढ़ते हैं। कुल मिलाकर यहां का माहौल हमें व्यक्तिगत और पेशेवर विकास में पूरा सहयोग प्रदान करता है।
वेदांता कार्यस्थल के लिए अनुकूल पॉलिसियां लेकर आती है जैसे जीवनसाथी की नियुक्ति के लिए पॉलिसी, बच्चे की देखभाल के लिए एक साल की छुट्टी, तथा मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए ‘नो क्वश्चन आस्क्ड’ लीव पॉलिसी। इन पॉलिसियों के दायरे से बढ़कर कर्मचारियों को अपने प्लांट्स के नज़दीक सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त विश्वस्तरीय टाउनशिप्स में रहने का मौका मिलता है। यहां सभी सुविधाएं जैसे स्कूल, अस्पताल, डेकेयर सेंटर, क्रैच, पूजा स्थल, खेल एवं मनोरंजन सुविधाएं जैसे स्विमिंग पूल, गोल्फ कोर्स, मुवी थिएटर आदि उपलब्ध कराए जाते हैं।
वेदांता लिमिटेड विश्वस्तरीय परिसंपत्तियों के विविध पोर्टफोलियो का संचालन करते हुए महत्वपूर्ण खनिजों, उर्जा एवं टेक्नोलॉजी में ग्लोबल लीडर है। कंपनी दुनिया में जिंक की सबसे बड़ा इंटीग्रेटेड उत्पादक, सिल्वर की तीसरी सबसे बड़ी विश्वस्तरीय उत्पादक, दुनिया के टॉप एलुमिनियम उत्पादों में से एक, भारत की एकमात्र निजी तेल एवं गैस उत्पादक तथा सबसे बड़े निजी विद्युत उत्पादकों में से एक है। भविष्य की बात करें तो कंपनी दुर्लभ धातुओं, अन्य महत्वपूर्ण खनिजों और नवीकरणीय ऊर्जा में प्रवेश द्वारा अपने कारोबार पोर्टफोलियो का विस्तार कर रही है