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भाजपा और कांग्रेस के चाणक्यों की सक्रियता से राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म 

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15 Sep 24
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गोपेन्द्र नाथ भट्ट 

भाजपा और कांग्रेस के चाणक्यों की सक्रियता से राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म 

राजधानी नई दिल्ली में भाजपा और कांग्रेस के चाणक्यों की सक्रियता से राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म 

 

राजस्थान विधानसभा भवन के अभिशप्त होने की फिर से चर्चा... दौ सौ विधायक कभी नही बैठे एक साथ !

 

विधानसभा में कई नवाचार कर रहें विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी राज्य विधानसभा भवन का शुद्धिकरण के लिए कोई बड़ा यज्ञ कराएंगे?

कांग्रेस ने आशानुरूप अपने राजनीतिक चाणक्य  माने जाने वाले राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हरियाणा विधानसभा चुनाव  के लिए अपना सीनियर ऑब्जर्वर घोषित कर दिया हैं और अपनी बेजोड़ कार्यशैली के अनुरूप गहलोत एक्शन में भी आ गए हैं। इस घोषणा के ठीक कुछ घंटों के बाद भाजपा के चाणक्य केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को दिल्ली तलब कर उनसे हरियाणा चुनाव के साथ ही राजस्थान विधान सभा के उप चुनाव की रणनीति सहित अन्य कई राजनीतिक और गैर राजनितिक मुद्दो पर पर चर्चा की है। भजन लाल शर्मा शनिवार को ही अपनी विदेश यात्रा से स्वदेश लौटे थे और कुछ समय दिल्ली में विश्राम कर जयपुर लौट गए थे लेकिन  भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें रविवार को पुनः दिल्ली बुला कर कुछ अति महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं। इसमें मंत्रिपरिषद के विस्तार और मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे चुके डॉ किरोड़ी लाल मीणा के विषय पर भी चर्चा हुई ऐसा बताया जा रहा हैं।

 

कांग्रेस और भाजपा के  दोनों महारथियों और भाजपा और कांग्रेस के चाणक्यों अमित  शाह और अशोक गहलोत की इस सक्रियता से राजधानी नई दिल्ली में राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया हैं। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री भजन लाल ने केंद्रीय गृह मंत्री शाह से  अपनी मुलाकात में जयपुर में दिसम्बर में होने वाले राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट के संबंध में भी चर्चा कर मार्ग दर्शन लिया हैं और अपनी दक्षिण कोरिया तथा जापान की विदेश यात्राओं का फीड बेक देने के बाद अहमदाबाद रवाना हो गए। बताते है कि गुजरात सरकार को गांधीनगर के महात्मा मंदिर में प्रवासी भारतीय और गुजरात इन्वेस्टमेंट समिट का गहन अनुभव है फिर वहां गौतम अदानी और मुकेश अंबानी जैसे निवेशक भी है जो अकेले ही राजस्थान की भावी समिट को सफल बना सकते हैं।

 

इधर राजधामी में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है। दिल्ली विधानसभा को भंग किए जाने की चर्चाओं के मध्य दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दो दिनों बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर किसी और को मुख्यमंत्री बनाने  की घोषणा की है और आगामी नवंबर में ही दिल्ली विधानसभा के चुनाव भी कराने की मांग के बाद देश की राजनीति में उबाल आ गया है। इन दिनों हरियाणा और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने से राजनीतिक सरगर्मियां जारी है। जाट प्रधान हरियाणा राजस्थान का पड़ोसी प्रदेश है और भाजपा ने प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया को  यहां अपना प्रभारी बनाया है। साथ ही मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी तथा पूर्व मुख्यमंत्री  वसुंधरा राजे को भी चुनाव में स्टार प्रचारक की जिम्मेदारी दी गई है।

 

इस मध्य ईद से ठीक पहले अलवर जिले के रामगढ़ के कांग्रेस विधायक जुबेर खान के असामयिक देहांत से अब प्रदेश में एक साथ सात विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव होने की स्थिति पैदा हो गई है । राजस्थान विधानसभा के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में विधानसभा के उप चुनाव पहले कभी नही हुए। भाजपा और कांग्रेस के लिए इन उप चुनावों को जीतना एक बड़ी चुनौती हैं।

 

रामगढ़ से कांग्रेस विधायक जुबेर खान के इंतकाल होने के साथ ही राजस्थान विधानसभा भवन को लेकर फिर से पुरानी मिथक और बातों की चर्चाओं  को बल मिल गया हैं। मिथक ये हैं कि राजस्थान विधानसभा के मौजूदा भवन में कभी भी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ सके हैं। पांच विधायकों के सांसद बनने के पश्चात सलूंबर के विधायक अमृत लाल मीणा का असामयिक निधन हो गया और उसके बाद अब जुबेर खान का देहांत हुआ है। इस तरह राजस्थान में अब सात विधानसभा के उप चुनाव होंगे।

 

राजस्थान विधानसभा की मौजूदा इमारत जब से बनी है तभी से यह आमतौर पर देखा गया है कि कभी भी 200 विधायक एक साथ सदन के अंदर  नहीं बैठ सके हैं। किसी ना किसी घटनाक्रम के कारण ऐसा होता आया है कोई ना कोई विधायक 200 विधायको के मध्य से चला जाता है। भजन लाल शर्मा सरकार बनने के बाद हुए लोकसभा चुनावों में पांच विधायक सांसद बन गए इसके बाद  दो विधायक इस दुनिया से चल बसे। सलूंबर से लगातार तीन बार के बीजेपी विधायक अमृत लाल मीणा और रामगढ़ से कांग्रेस विधायक जुबेर खान का निधन होने से इस किवदंती को बल मिला है कि 200 विधायकों के एक साथ सदन में नहीं बैठने का इतिहास टूटता नही दिखाई दे रहा है। यह एक संयोग ही कहा जा सकता है कि अशोक गहलोत की पिछली सरकार में भी पहला उप चुनाव रामगढ़ विधानसभा का  ही हुआ था। तब जुबेर खान की पत्नी सफिया जुबेर विधायक  निर्वाचित हुई थी। अब खुद जुबेर खान विधायक बनने के बाद अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।

पिछली गहलोत सरकार में भी उप चुनावों का एक इतिहास बना था तब विधायक पंडित भंवर लाल शर्मा, किरण माहेश्वरी, मास्टर भंवरलाल मेघवाल, कैलाश त्रिवेदी का निधन हो गया था।

 

इससे पहले की घटनाएं भी रोचक हैं। फरवरी 2001 के दौरान जब 11वीं  विधानसभा का सत्र था तब विधानसभा पुराने भवन से नए भवन में शिफ्ट हो चुकी थी। 25 फरवरी को तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन इसका उद्घाटन करने आने वाले थे लेकिन अस्वस्थ होने की वजह से वे जयपुर नहीं आ सके। आखिरकार बिना उद्घाटन के ही विधानसभा शुरु हो गई । इसके बाद नवंबर 2001 में इसका उद्घाटन हुआ तब से अब तक अलग अलग समय में किसी ना किसी विधायक का निधन होता रहा है। शुरुआती दौर में विधायक किशन मोटवानी, जगत सिंह दायमा, भीखा भाई भील, भीमसेन चौधरी, रामसिंह विश्नोई, अरुण सिंह, नाथूराम अहारी  आदि विधायक चल बसे ।इसके बाद वसुंधरा राजे के  शासन के दौरान कल्याण सिंह चौहान, कीर्ति कुमारी, धर्मपाल चौधरी का विधायक पद पर रहते हुये निधन हो गया था ।  

विधानसभा को समय समय पर कई विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव का सामना करना पड़ा है। फरवरी 2002 में किशन मोटवानी के निधन के बाद अजमेर पश्चिम में उप चुनाव हुए । दिसंबर 2002 में बानसूर विधायक जगत सिंह दायमा के निधन के बाद चुनाव हुआ । डूंगरपुर जिले की सागवाड़ा सीट के दिग्गज काग्रेस विधायक तत्कालीन मंत्री भीखा भाई के निधन बाद भी उप चुनाव हुआ । 2005 जनवरी में लूणी विधायक रामसिंह विश्नोई के निधन के बाद उपvचुनाव हुआ । 2006 मई में डीग विधायक अरुण सिंह के निधन के बाद उप चुनाव हुआ । 2006 दिसंबर में डूंगरपुर विधायक नाथूराम अहारी के निधन के बाद उप चुनाव हुआ। 2017 में धौलपुर विधायक बीएल कुशवाह के जेल जाने के बाद वहां भी उप चुनाव हुआ।  2017 में सितंबर के महीने में बीजेपी विधायक कीर्ति कुमारी के निधन के बाद मांडलगढ़ में उप चुनाव हुआ। 21 फरवरी 2018 को  नाथद्वारा के बीजेपी विधायक कल्याण सिंह का भी निधन हो गया। उसके बाद मुंडावर विधायक धर्मपाल चौधरी भी इस दुनिया में नहीं रहे । पिछली गहलोत सरकार के समय भी रामगढ़ उपचुनाव का सामना करना पड़ा। सहाड़ा,सुजानगढ़ ,वल्लभनगर और राजसमंद के विधानसभा उप चुनाव  हुए । अब मौजूदा भजनलाल सरकार के समय खींवसर,चौरासी, देवली उनियारा, दौसा, झुंझुनूं के विधायकों के सांसद बनने के कारण उप चुनाव होंगे। साथ ही सलूंबर और रामगढ़ में स्थानीय विधायको के निधन के कारण उप चुनाव होगा।  देश में उत्तरप्रदेश के बाद संभवत राजस्थान देश का पहला प्रदेश होगा जहां इतनी बड़ी संख्या में एक साथ सात विधानसभा  के उपचुनाव होंगे ।

 

 

नब्बे से दो हजार के दशक में जयपुर में विधानसभा की भव्य ईमारत बनने से पहले राजस्थान की पुरानी विधानसभा जयपुर के चारदीवारी में ऐतिहासिक हवा महल के पीछे सिटी पैलेस के निकट मानसिंह टाउन हॉल में चला करती थी,जबकि नई विधानसभा आधुनिक परिवेश के साथ नए जयपुर में बनाई गई, लेकिन विधानसभा में विधायकों की शत प्रतिशत  उपस्थिति हमेशा शंकाओं से घिरी रही। खुलकर विधायक भले ही अंधविश्वासों के बारे में बात नहीं करते हैं लेकिन अंदरूनी तौर पर वे कानाफूसी के जरिए यह कहते सुने गए है कि विधानसभा के इस भवन का शुद्धिकरण किए जाने की जरूरत है । विधायकों के फोटो सेशन में शायद कभी ऐसा हुआ हो जब पूरे विधायक एक साथ नजर आय़े हो। साफ है सदन में कुर्सियां 200 विधायकों की है लेकिन कभी भी ये सभी  200  विधायक सदन में एक साथ नहीं बैठ पाते है। बताया जाता है कि भैरोसिंह शेखावत के मुख्यमंत्रित्व काल और हरि शंकर भाभड़ा के विधानसभाध्यक्ष काल में प्रस्तावित भवन के पास ही पुराने शमशान गृह होने से विधानसभा की साईट को लेकर विरोध  भी सामने आया था लेकिन राज्य सचिवालय तथा अन्य राज्य भवनों के निकट होने तथा स्टेच्यू सर्किल से नाक की सीध में होने से जनपथ मार्ग पर ही नया विधान सभा भवन बनाने का निर्णय लिया गया था लेकिन जब से यह भवन बना है तब से विधान सभा में 200 एमएलए के एक साथ नहीं बैठ पाने की अनहोनी घटना हो रही हैं।

 

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राजस्थान विधानसभा में कई नवाचार कर रहें विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी राज्य विधानसभा भवन में भजनलाल सरकार के सहयोग से एक बड़ा यज्ञ और सर्व धर्म सम्मेलन रख विधान सभा भवन का शुद्धिकरण कराएंगे ताकि ऐसी अनहोनी घटनाओं के होने पर स्थाई पूर्ण विराम लग सके ?

 


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