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इतिहास की मर्यादा और युगनायक महाराणा प्रताप : अनैतिहासिक बयान पर इतिहासकारों की कड़ी प्रतिक्रिया

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28 Dec 25
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इतिहास की मर्यादा और युगनायक महाराणा प्रताप : अनैतिहासिक बयान पर इतिहासकारों की कड़ी प्रतिक्रिया

उदयपुर।वरिष्ठ इतिहासकार एवं ग्लोबल हिस्ट्री फोरम के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. (डाॅ.) जी. एल. मेनारिया ने माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चन्द कटारिया से आग्रह किया है कि वे महाराणा प्रताप जैसे युगपुरुष पर टिप्पणी करने से पूर्व उनकी लिखित पुस्तक “महाराणा प्रताप महान्” का गंभीरतापूर्वक अध्ययन करें।

हाल ही में 22 दिसम्बर 2025 को गोगुन्दा में आयोजित एक शिलालेख कार्यक्रम के दौरान दिए गए राज्यपाल के कथित बयान — “महाराणा प्रताप को पहली बार जीवित करने का काम जनता पार्टी ने किया” — को लेकर मेवाड़ के इतिहासकारों में गहरी असहमति और आक्रोश देखने को मिला। इस संदर्भ में ग्लोबल हिस्ट्री फोरम एवं मेवाड़ इतिहास परिषद की संयुक्त बैठक आयोजित की गई, जिसमें इस बयान को अनैतिहासिक, असंगत और अतार्किक बताते हुए सर्वसम्मति से उसका खंडन किया गया।

बैठक में इतिहासकारों ने स्पष्ट कहा कि महाराणा प्रताप किसी भी राजनीतिक दल या विचारधारा की देन नहीं हैं। वे भारतीय स्वाभिमान, स्वतंत्रता चेतना और आत्मबल के शाश्वत प्रतीक हैं, जिन्हें किसी पार्टी विशेष से जोड़ना न केवल इतिहास का अपमान है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भ्रमित करने वाला भी है।

डाॅ. जी. एल. मेनारिया ने बताया कि उन्होंने अपने ग्रंथ “महाराणा प्रताप महान्” की एक प्रति राज्यपाल महोदय को उनके उदयपुर प्रवास के दौरान सर्किट हाउस में भेंट की थी। उन्होंने कहा कि प्रताप जैसे अजेय राष्ट्रनायक पर कोई भी टिप्पणी तभी सार्थक हो सकती है, जब वह तथ्य, शोध और ऐतिहासिक संदर्भों पर आधारित हो।

इतिहासकारों ने यह भी कहा कि महाराणा प्रताप के स्वाधीनता संघर्ष और उनके त्याग की परंपरा का ही प्रभाव था कि मेवाड़ के महाराणा भूपालसिंह जी ने सरदार वल्लभभाई पटेल और पं. जवाहरलाल नेहरू के अनुरोध पर संपूर्ण मेवाड़ रियासत के भारत संघ में विलय की घोषणा की। इसी ऐतिहासिक निर्णय ने अन्य रियासतों को भी अखंड और सशक्त भारत के निर्माण के लिए प्रेरित किया।

बैठक में ग्लोबल हिस्ट्री फोरम के महासचिव डाॅ. अजातशत्रु सिंह राणावत, डाॅ. मिनाक्षी मेनारिया, डाॅ. मनोज भटनागर, डाॅ. जे. के. ओझा, सोहनलाल जोशी, चंदन सिंह खोखावत, डाॅ. रामसिंह राठौड़ सहित अनेक इतिहासकारों ने अपने विचार व्यक्त किए। सभी ने एक स्वर में मांग की कि राज्यपाल श्री गुलाब चन्द कटारिया अपने बयान पर सार्वजनिक रूप से स्पष्टीकरण दें और माफी मांगें, अन्यथा इससे न केवल संवैधानिक पद की गरिमा, बल्कि संबंधित राजनीतिक दल की छवि को भी आघात पहुंचेगा।

इतिहासकारों का स्पष्ट संदेश था—
महाराणा प्रताप किसी दल के नहीं, राष्ट्र के हैं; किसी युग के नहीं, इतिहास की अमर चेतना हैं।


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