राजस्थान के मुख्य सचिव पद पर लगभग 1 साल और 10 महीने तक रहने के बाद वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुधांश पंत अपने गृह केडर से एक बार पुनः केन्द्र में लौट गए। पंत को भजन लाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद 1 जनवरी 2024 को राजस्थान का मुख्य सचिव बनाया गया था लेकिन करीब ग्यारह महीनों बाद वे 11 नवंबर 2025 को मुख्य सचिव पद से मुक्त हो गए। इसके पहले वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान राजीव महर्षि भी मुख्य सचिव रहते केन्द्र में लौटे थे। सुधांश पंत के केन्द्र में जाने के बाद पिछले 17 नवंबर को केन्द्र से ही अपने होम केडर में लौटे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वी श्रीनिवास ने राजस्थान के मुख्य सचिव का पद संभाला और उनके मुख्य सचिव बनने के पश्चात पहली बार भजन लाल सरकार ने शुक्रवार 21 नवंबर को देर रात 48 आईएएस अधिकारियों की एक बड़ी तबादला सूची जारी कर राजस्थान में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया है।

इस प्रशासनिक फेरबदल से सर्दियों के सर्द मौसम में भी प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। 21 नवंबर को जिन 48 आईएएस अधिकारियों की तबादला सूची जारी हुई है, उसमें जलप्रदाय विभाग (पीएचडी) के अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा को मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में नियुक्त किया गया है जबकि सीएमओ से शिखर अग्रवाल को बदल कर उन्हें उद्योग विभाग में नियुक्त किया गया है।
वैसे राजस्थान ही नहीं भाजपा शासित सभी प्रदेशों में प्रशासनिक तंत्र में जो कुछ भी बदलाव होता है, वह सब डबल इंजन की सरकार के दिल्ली वाले इंजन के इशारे पर होता है। राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में कुछ भी चर्चा हो, लेकिन यह हकीकत है कि पिछले दो वर्षों में भजनलाल शर्मा की राजनीतिक ही राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था भी पकड़ मजबूत हुई है।
वैसे राजस्थान की अफसरशाही ने पिछले 25 वर्षों में बारी बारी से वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत का शासन देखा है। फिर भी दिसंबर 2023 के बाद अफसरशाही को प्रदेश में बहुत बदलाव देखने को मिल रहा है। दिसंबर 2023 में भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के बाद जब सुधांश पंत को मुख्य सचिव बनाया गया, तब यही उम्मीद थी कि सुधांश पंत की मुख्य सचिव की पारी लंबी चलेगी। इसी माह जब सुधांश पंत की जगह वी. श्रीनिवास को मुख्य सचिव बनाया गया है तो कहा जा रहा है कि श्रीनिवास मात्र 10 माह बाद ही सेवानिवृत्त हो रहे है। श्रीनिवास को भी पता है कि सेवानिवृत्त के बाद उन्हें नियमानुसार छह माह का सेवा विस्तार या फिर अन्य कोई लाभ का पद मिल सकता है।
वैसे केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की क्रियान्विति करने की मुख्य जिम्मेदारी मुख्य सचिव की ही होती है। सुधांश पंत की तरह ही वी. श्रीनिवास भी एक काबिल अफसर और केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के विश्वस्त अधिकारी हैं।
उन्हें मुख्य सचिव के अतिरिक्त, राजस्थान स्टेट माइन्स और मिनरल्स लिमिटेड का चेयरमैन और दिल्ली में राजस्थान के प्रिंसिपल रेजिडेंट कमिशनर का अतिरिक्त चार्ज भी दिया गया है। प्रिंसिपल रेजिडेंट कमिशनर का कार्य केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के मध्य बेहतर समन्वय स्थापित करने का है। इसी अनुरूप वी. श्रीनिवास ने *विकसित राजस्थान 2047* विज़न को लागू करने को अपनी प्रमुख प्राथमिकता रखी है। श्रीनिवास ने विभिन्न उच्च पदों पर काम किया है। उन्हें लंबे समय तक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर कार्य करने का वृहत अनुभव है। उन्होंने प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के सचिव के रूप में भी काम किया है। साथ ही वे पेंशन और पेंशन भोगियों की कल्याण विभाग के सचिव भी रहे हैं। अपने प्रारंभिक कैरियर में, उन्होंने राजस्थान में विभिन्न ज़िला स्तर की भूमिकाएँ निभाईं है जैसे कि सब-डिवीजनल ऑफिसर, पाली और जोधपुर के जिला कलेक्टर और वॉटर्शेड डेवलपमेंट एवं मिट्टी संरक्षण निदेशक। इन फील्ड पोस्टिंग्स के दौरान उन्हें ज़मीनी विकास, जल संसाधन नियोजन, और स्थानीय प्रशासन का गहन अनुभव मिला। उन्होंने नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स हॉस्पिटल में उप-निर्देशक के रूप में रहते हुए, *डिजिटल-एम्स* की पहल की अगुवाई की थी। इस पहल में रोगियों के रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, ओ पी डी (आउट पेशेंट विभाग) प्रक्रियाओं का ऑनलाइनकरण और अस्पताल प्रशासन में दक्षता बढ़ाने पर काम किया गया। उन्होंने नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस (NCGG) के डायरेक्टर जनरल के रूप में कार्य किया है, जहाँ उन्होंने प्रशासकों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाए।
श्रीनिवास का अंतरराष्ट्रीय अनुभव भी बहुत गहरा है। उन्होंने अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर ऑफिस का तकनीकी सहायक के रूप में काम किया। यह अनुभव उन्हें वैश्विक वित्तीय प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय नीति-निर्माण की समझ में सक्षम बनाता है। उनके गवर्नेंस दर्शन में *पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता* प्रमुख मानी जाती है। वे भारत के पहले ऐसे आईएएस है जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (आईआईएएस) के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है। यह चुनाव यह दर्शाता है कि उनकी प्रशासनिक विशेषज्ञता और नेतृत्व क्षमता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। उनके करियर में उन्हें राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद पुरस्कार मिल चुके हैं, विशेष रूप से *बारानी रैनफेड एग्रीकल्चर” में उत्पादकता हेतु भी सम्मानित किया गया है।साथ ही उन्हें राजस्थान और केंद्र सरकार की ओर से भी सेवा-प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए सम्मान मिला है।
इसी प्रकार मुख्यमंत्री कार्यालय में अतिरिक्त मुख्य सचिव बनाए गए आईएएस अधिकारी अखिल अरोड़ा की उपलब्धियां भी उल्लेखनीय है।
वे राजस्थान सरकार में वित्त विभाग में लंबे समय तक काम कर चुके हैं। उन्होंने चार बजट तैयार किए हैं और एक लेखानुदान बजट भी शामिल था। उनकी वित्तीय प्रबंधन क्षमता की वजह से उन्हें दोनों अलग-अलग राजनीतिक शासन (कांग्रेस और भाजपा) में वित्त विभाग की जिम्मेदारी दी गई । यह भरोसे का बड़ा संकेत और आधुनिक प्रशासनिक तंत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। यह दिखाता है कि प्रशासन और सरकार दोनों उनकी क्षमताओं पर भरोसा करते हैं और उन्हें महत्वपूर्ण वित्तीय जिम्मेदारियां सौंपते हैं। अखिल अरोड़ा को मुख्यमंत्री कार्यालय में अतिरिक्त मुख्य सचिव बनाने के साथ उनके पुराने विभाग जलप्रदाय विभाग का महत्वपूर्ण कार्य भी यथावत रखा गया है। पानी की कमी वाले राजस्थान में उनकी अहम भूमिका रहने वाली है।
इधर प्रशासनिक बदलाव के साथ ही मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को अपने मंत्रिमंडल विस्तार का भी करना है। मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं पिछले दो वर्ष से हो रही है। नियमों के मुताबिक 6 और मंत्री बनाए जा सकते हैं। देखना है भजन लाल मंत्रिमंडल विस्तार कितना जल्दी होने वाला है।