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चार्टर्ड अकाउंटेंट भारत के आर्थिक तंत्र की आत्‍मा

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31 Dec 25
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चार्टर्ड अकाउंटेंट भारत के आर्थिक तंत्र की आत्‍मा

जयपुर, राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने चार्टर्ड अकाउंटेंटस का आव्‍हान किया है कि वे भारत की आर्थिक व्‍यवस्‍था की धूरी ही नहीं बल्कि भारतीय संस्‍कृति के अनुरूप विश्‍वास, नैतिकता, अवसर और प्रौद्योगिकी के मजबूत स्‍तम्‍भ भी बने। 

श्री देवनानी मंगलवार को जयपुर के बिडला ऑडिटोरियम सभागार में द इन्‍स्‍टीटयूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंटस ऑफ इण्डिया (आईसीएआई) की जयपुर शाखा द्वारा फिडयूशिया (विश्‍वास) – 2025 नैतिकता, अवसर, प्रौद्योगिकी और स्थिरता विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन को मुख्‍य अतिथि के रूप में सम्‍बोधित कर रहे थे। श्री देवनानी ने दीप प्रज्‍ज्‍वलित कर सम्‍मेलन का शुभारम्‍भ किया। 


विधानसभाध्‍यक्ष श्री देवनानी ने कहा कि यह सम्‍मेलन भारत की तीव्र गति से उभरती अर्थव्‍यवस्‍था को दृष्टिगत रखते हुए बहुत प्रांसगिक और सारगर्भित है। उन्‍होंने कहा कि आज का भारत अवसरों से भरा हुआ भारत है। आज हमारा देश प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में विश्‍व की अग्रणी अर्थव्‍यवस्‍थाओं में तेजी से आगे बढ रहा है। चाहे वह डिजिटल इंडिया के माध्‍यम से पारदर्शिता बढाना हो, जीएसटी के जरिए एकीकृत कर प्रणाली स्‍थापित करना हो, मेक इन इंडिया और आत्‍मनिर्भर भारत के माध्‍यम से घरेलू उद्योगों को सशक्‍त करना हो, या फिर स्‍टार्टअप इंडिया के जरिए युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रेरित करना हो। इन सभी प्रयासों के केंद्र में विश्‍वास और सुशासन है। प्रधानमंत्री ने बार- बार कहा है कि सुधार केवल कानूनों से नहीं, बल्कि सोच से आते है और इस सोच को जमीन पर उतारने में आप जैसे पेशेवरों की भूमिकामहत्‍वपूर्ण और निर्णायक साबित हो सकती है। 

उन्‍होंने कहा कि आर्थिक नीतियों, निवेश निर्णयों और कॉर्पोरेट गवर्नेंस में संतुलन स्‍थापित करने में चार्टर्ड अकाउंटेंटस की भूमिका बहुत अहम है। इसलिए उन्‍हें एक सजग प्रहरी के रूप में देशहित में अपने दायित्‍वों को निभाना होगा। इसी प्रकार ग्रीन बोन्‍डस, सस्‍टेनबेल फाईनेंस और ईएसजी रिपोर्टिंग के माध्‍यम से आप भारत के 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्‍य को साकार करने में महत्‍वपूर्ण योगदान दे सकते है। इसके अलावा चार्टर्ड अकाउंटेंटस पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक उत्‍तरदायित्‍व और सुशासनके भारतीय जीवन दर्शन के मूल्‍यों को व्‍यवहारिक रूप देने में भी सबसे प्रभावी माध्‍यम सिद्ध हो सकते है। 

विधानसभाध्‍यक्ष श्री देवनानी ने कहा कि तकनीक के इस युग में हम एक ऐसे दौर से गुजर रहे है जहां आर्टिफिशियल इन्‍टेलिजेंस, डेटा एनॉलिटिक्‍स और ऑटोमिशन ने काम करने के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है। उपनिषेदों का भाव हमें यह सिखाता है कि ज्ञान तभी पूर्ण होता है जब उसके साथ विवेक जुडा हो। तकनीक यदिविवेक से अलग हो जाएं तो वह सुविधा नहीं संकट बन जाता है। इसलिए आज आवश्‍यकता इस बात की है कि हम तकनीक को अपनाएं लेकिन अपने निर्णयों को मानवीय संवेदना, नैतिकता और अनुभव से संचालित करें। कोई भी मशीन यह तय नहीं कर सकती कि सही और गलत के बीच नैतिक अन्‍तर क्‍या है। यह जिम्‍मेदारी पूर्ण रूप से मानव विवेक पर ही निर्भर करती है। 

विधानसभाध्‍यक्ष श्री देवनानी ने कहा कि भारत की विकास यात्रा केवल बडे उद्योगों के सहारे पूरी नहीं हो सकती। भारत की असली ताकत उसके एम.एस.एम.ई, स्‍टार्टअप्‍स और गांवों और कस्‍बों में बसे छोटे उद्योमियों में विद्धमान है। राजस्‍थान की भूमि इस दृष्टि से महत्‍वपूर्ण है जहां कारीगिरी परम्‍परा और उद्यमशिलता एक साथ चलती है। यहां छोटे उद्योग केवल रोजगार का साधन नहीं बल्कि सांस्‍कृतिक पहचान का माध्‍यम भी है। इन उद्यमों को सही दिशा, वित्‍तीय अनुशासन और दीर्घकालीन दृष्टि देने में चार्टर्ड अकाउंटेंटस महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।

श्री देवनानी ने कहा कि आज केपिटल मार्केटस, ऑडिट, टेक्‍सेशन और फाईनेन्शियल रिपोर्टिंग के क्षेत्र जो परिवर्तन हो रहे है वह अभूतपूर्व है लेकिन इन सभी परिवर्तनों के केन्‍द्र में एक ही यक्ष प्रश्‍न है कि क्‍या हम अपने शाश्‍वत विश्‍वास को बनाए रख पा रहे है। बिना विश्‍वास के ना कोई समाज चल सकता है ना कोई संस्‍था टिक सकती है और ना ही कोई अर्थव्‍यवस्‍था स्थिर रह सकती है। भारतीय दर्शन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में अर्थ का अपना महत्‍वपूर्ण स्‍थान है लेकिन इन चार पुरूषार्थों में अर्थ का तात्‍पर्य केवल धन कमाना नहीं बल्कि मर्यादा के साथ अर्जित किया गया साधन होना चाहिए। 

 श्री देवनानी ने कहा कि गीता हमें यह सिखाती है कि कर्तव्‍य से विमुख होना सबसे बडा पतन है, और कर्तव्‍य का पालन ही जीवन की श्रेष्‍ठ साधना है। यही भाव चार्टर्ड अकाउंटेंट के पेशे का मूल मंत्र होना चाहिए। आप केवल आंकडों का प्रबंधन नहीं करते, आप कर्तव्‍य, विवेक और उत्‍तरदायित्‍व का निर्वहन भी करते हैं। आपकी कलम से निकली एक रिपोर्ट किसी कंपनी का भविष्‍य तय करती है, किसी निवेशक का विश्‍वास मजबूत करती है और किसी सरकार की नीति को नई दिशा देती है। उन्‍होंने कहा कि चार्टर्ड अकाउंटेंटस को सलाह दी कि वे नये आयकर कानून का सही ढंग से विशलेषण करें और अपने पेशे के अनुरूप ऑडिट की गुणवत्‍ता को बनाए रखते हुए सही अर्थों में आय सलाहकार की भूमिका का निर्वहन करें। 

विधानसभाध्‍यक्ष श्री देवनानी ने कहा कि आज का यह सम्‍मेलन महज एक व्‍यावसायिक सम्‍मेलन नहीं है बल्कि यह भारत की जीवंत आर्थिक चेतना का मंथन करने का सम्‍मेलन भी है जिसमें हमारी हजारों वर्षों की परम्‍परा, विश्‍वास, नैतिकता और संतुलन को आधार बनाना चा‍हिए। आज आवश्‍यकता इस बात की है कि चार्टर्ड अकाउंटेंट अपने पेशे को केवल आज की जरूरतों तक सीमित ना रखें बल्कि आने वाली पीढियों के लिए भी एक ऐसा मार्ग प्रशस्‍त करें जिससे एक ऐसा भारत बने जो विकसित भी हो, मूल्‍य निष्‍ठ भी हो और विश्‍वसनीय भी हो। यही फिडयूशिया की आत्‍मा है, यही भारतीय संस्‍कृति का संदेश है और यही इस राष्‍ट्रीय मंथन का उद्देश्‍य भीहोना चाहिए। मुझे विश्‍वास है कि इस सम्‍मेलन से निकले विचार, संवाद और संकल्‍प भारत की आर्थिक यात्रा को नई उंचाईयों तक ले जाएंगें और विश्‍वास की परम्‍परा को और अधिक मजबूत बनाएंगें। 

 इस अवसर पर द इन्‍स्‍टीटयूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इण्डिया के अध्‍यक्ष सी.ए. श्री चरणजोत सिंह नंन्‍दा ने भी अपने सारगर्भित विचार व्‍यक्‍त किए। समारोह में आईसीएआई के उपाध्‍यक्ष सी.ए. श्री प्रसन्‍न कुमार, सी.ए. श्री सतीश कुमार, सी.ए. श्री रोहित, सी.ए. श्री विष्‍णु अग्रवाल के साथ ही एस.बी.आई के निदेशक श्री डी.एस. शेखावत द इन्‍स्‍टीटयूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इण्डिया, जयपुर शाखा के चैयरमेन, श्री विकास, सचिव श्री यश गुप्‍ता और सीकासा जयपुर शाखा के चैयरमेन श्री शिवकुमार भी मौजूद थे। इस मौके पर विधान सभा अध्‍यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने उल्‍लेखनीय कार्य करने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंटस को सम्मानित भी किया।

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