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पेसिफिक इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में स्क्रीन टाइम व नशामुक्ति जागरूकता पर नाटिका व प्रेजेंटेशन

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30 Nov 25
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पेसिफिक इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में स्क्रीन टाइम व नशामुक्ति जागरूकता पर नाटिका व प्रेजेंटेशन

उदयपुर। पेसिफिक इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, उमरड़ा में शनिवार को नव आगंतुक छात्र-छात्राओं के लिए आयोजित इंडक्शन प्रोग्राम के तहत बढ़ते स्क्रीन टाइम और नशामुक्ति पर विशेष नाटिका और जागरूकता प्रस्तुति आयोजित की गई।

कार्यक्रम की शुरुआत जल मित्र डॉ. पी.सी. जैन और छात्रों द्वारा जल पूजन व जल आरती से हुई। इसके बाद “आज नहीं तो कल जाएगा, जल बिन जीवन जल जाएगा” विषयक लघु फिल्म प्रदर्शित की गई। डॉ. जैन ने छात्रों से कहा कि जल संरक्षण आज की बड़ी आवश्यकता है और वर्षा जल संचयन को आदत में शामिल कर भूजल स्तर को बचाया जा सकता है। छात्रों ने अपने साथ लाए पानी की टीडीएस मीटर से जांच कर पीने योग्य जल के मानकों की जानकारी भी प्राप्त की।

इंडक्शन प्रोग्राम के दौरान मंच पर प्रस्तुत नाटिका ने बढ़ते स्क्रीन टाइम के कारण परिवारिक संबंधों में आ रही दूरी के दुष्प्रभाव को बेहद मार्मिक रूप से दिखाया। नाटिका में दर्शाया गया कि पोते-पोती मोबाइल और डांस में इतने डूबे रहते हैं कि दादी की छाती दर्द की पुकार सुनाई नहीं देती, जिसके कारण उनकी मृत्यु हो जाती है। यह दृश्य उपस्थित छात्रों को परिवार के साथ समय बिताने की महत्ता का गहरा संदेश देता है। नाटिका में मनीषीका, अमीश, अंकुर, आर्यन, कशिश, हर्षिता, जिया और साक्षी ने अभिनय किया।

इसके बाद डॉ. पी.सी. जैन ने "फैक्ट फाइल" प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि देश में लगभग 37 करोड़ लोग किसी न किसी प्रकार के नशे की चपेट में हैं और यह संख्या तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने भावी चिकित्सकों को तंबाकू, शराब, गुटखा, गांजा, ब्राउन शुगर आदि के दुष्प्रभावों व उपचार के बारे में जागरूक किया। उन्होंने छात्रों से संवाद करते हुए पूछा कि मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलने पर खुशी के आंसू किसके आए — जिस पर छात्रों ने उत्तर दिया “माता-पिता के।” फिर पूछा कि यदि वे नशे में पड़ जाएं तो दुख के आंसू किसे आएंगे — सभी ने पुनः कहा “माता-पिता को।” इस संवाद ने छात्रों को नशे से दूर रहने का संकल्प दिलाया।


डॉ. जैन ने आगे बताया कि युवतियों में नशे का प्रभाव शारीरिक संरचना और हार्मोनल अंतर की वजह से अधिक घातक होता है तथा इससे होने वाली संतान में गंभीर विकृतियां भी उत्पन्न हो सकती हैं।

कार्यक्रम में स्वागत डॉ. श्रीनिधि ने किया। प्रिंसिपल डॉ. सुरेश गोयल ने ऐसे सार्थक कार्यक्रम प्रत्येक छह माह में आयोजित करने का आग्रह किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रणव कुमार और डॉ. श्रीनिधि ने संयुक्त रूप से किया। संचालन सोनाली कुकरेजा ने किया।


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