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कैदियों के लिये उदयपुर केन्द्रीय जेल में स्टोरी टेलिंग कार्यक्रम आयोजित

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26 Dec 25
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कैदियों के लिये उदयपुर केन्द्रीय जेल में स्टोरी टेलिंग कार्यक्रम आयोजित


उदयपुर। मां माय एंकर फाउण्डेशन ने 7 वें उदयपुर टेल्स इंटरनेशनल स्टोरीटेलिंग फेस्टिवल से पूर्व उदयपुर केन्द्रीय जेल मे ंकैदियों के लिये स्टोरी टेलिंग प्रोग्राम आयोजित किया। इस पहल में जेल के कैदियों को एक संरचित कहानी सुनाने के कार्यक्रम में भाग लेने का मौका मिला। जिसका उद्देश्य मौखिक कहानी सुनाने की परंपरा के माध्यम से रचनात्मक अभिव्यक्ति, भावनात्मक चिंतन और आत्मविश्वास का निर्माण करना था।
फाउण्डेशन की संस्थापक सुष्मिता सिंघा ने बताया कि मानवीय और सार्थक सांस्कृतिक रूप में प्रस्तुत किये गये इस कार्यक्रम ने कैदियों को लचीलेपन, परिवर्तन, आशा और जीवन के अनुभवों से प्रेरित व्यक्तिगत कहानियाँ साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया। सत्र में उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई, जो उदयपुर टेल्स के समावेशी लोकाचार को दर्शाती है, जिसके तहत कहानी सुनाने को पारंपरिक स्थानों से परे ले जाया जाता है और जेल प्रणाली के भीतर के लोगों सहित हाशिए पर पड़े समुदायों की आवाजों को बुलंद किया जाता है।
उदयपुर टेल्स इंटरनेशनल स्टोरीटेलिंग फेस्टिवल के संस्थापक सलिल भंडारी ने बताया कि उदयपुर सेंट्रल जेल में आयोजित यह कहानी सुनाने की प्रतियोगिता समावेशिता, सामाजिक प्रभाव और कहानियों की परिवर्तनकारी शक्ति के प्रति उदयपुर टेल्स की प्रतिबद्धता का प्रमाण है, जो इस विश्वास को पुष्ट करती है कि किसी भी परिस्थिति में प्रत्येक व्यक्ति के पास आमजन को सुनाने योग्य एक कहानी होती है जो दूसरों को प्रेरणा देती है।  
कार्यक्रम की शुरुआत आशुतोष पांडे द्वारा संचालित योग और ग्राउंडिंग सत्र से हुई, जिससे एक शांत और चिंतनशील वातावरण बना। इसके बाद कहानी सुनाने का कार्यक्रम हुआ, जिसमें कैदियों ने कुछ संकोची, कुछ आत्मविश्वासी, हास्य, शक्ति, एकता और आशा से भरपूर कहानियां साझा कीं। सत्र का एक उल्लेखनीय पहलू यह था कि प्रतिभागियों ने एक-दूसरे को प्रोत्साहन और समर्थन दिया, जिससे समूह के भीतर समुदाय और सहानुभूति की भावना मजबूत हुई।
उदयपुर टेल्स के सलाहकारों और सहयोगियों चारुल चोयल, शिबली खान और आशुतोष पांडे ने कहानी सुनाने को पुनर्वास, भावनात्मक कल्याण और व्यक्तिगत विकास के लिए एक शक्तिशाली साधन बताया और आत्मनिरीक्षण, मानवीय जुड़ाव और आपसी समझ को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका पर जोर दिया। जेल अधिकारियों ने भी इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह की रचनात्मक गतिविधियां कैदियों का मनोबल बढ़ाने और आत्म-चिंतन के लिए रचनात्मक रास्ते प्रदान करने में सकारात्मक भूमिका निभाती हैं।
कार्यक्रम का समापन एक उत्साहवर्धक संगीतमय जैमिंग सत्र के साथ हुआ, जहां प्रतिभागी ताल और गीत के माध्यम से एक साथ आए, जिससे सौहार्द और साझा अभिव्यक्ति के बंधन और मजबूत हुए।


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