उदयपुर जो दृढ़ राखे धर्म को , तेहि राखे करतार ... धर्म की रक्षा हेतु अपना बलिदान देने वाले वीर साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह, बाबा फतेह सिंह की शहादत दिवस पर शुक्रवार को राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति सचिवालय के सभागार में आयोजित पुष्पांजलि सभा व संगोष्ठी में कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत, विधि महाविद्यालय डीन प्रो. आनंद पालीवाल, पुर्व कुलपति एवं राज्यपाल सलाहकार प्रो. कैलाश सोडाणी, रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, डॉ. युवराज सिंह राठौड ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया।
प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि 7 वर्ष की उम्र में हँँसते - हँँसत देश समाज के लिए अपने आप को न्यौछार कर दिया। उन्होंने कहा कि औरंगजेब के शासनकाल के दौरान इस्लाम कबूल न करने वालों की हत्या कर दी जाती थी, औरंगजेब का सामना जब गुरू गोविंद सिंह जी के बेटे जोरावर सिंह, फतेह सिंह से हुआ तो उन्होंने इसका जम कर विरोध किया, जिस पर उन्हें जिंदा ही दीवार में चुनवा दिया गया, उस समय इनकी उम्र मात्र 9 और 6 वर्ष थी। जिस समय दोनों को दीवार में चुनवाया जा रहा था तब भी वे जपजीसाहिब का पाठ कर रहे थे। साहिबजादों का अंत में सिर धड़ से अलग कर दिया गया था, तलवार अपनी गर्दन तक आने के बाद भी उनमें लेश मात्र का डर नहीं था, बल्कि उन्हें देश, धर्म के लिए बलिदान होने पर गर्व था। 202 से प्रतिवर्ष वीर बाल दिवस के रूप में जनाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य दोनों साहिबेजादों की शहादत को स्मरण कर उनकी वीर गाथा और अद्वितिय बलिदान को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना है और युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए।
इस अवसर पर पीजीडीन प्रो. जीएम मेहता, प्रो. मलय पानेरी, डॉ. युवराज सिंह राठौड, डॉ. शैलेन्द्र मेहता, डॉ. मनीष श्रीमाली, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत, जितेन्द्र सिंह चौहान, मुर्तजा अली, डॉ. संजय चौधरी सहित कार्यकर्ताओं ने पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया।