देश विदेश के 300 से अधिक प्रतिभागियों ने लिया भाग
टेपिंग थेरेपी की ओर बढ़ा मरीजों का रूझान - प्रो. बेलिया रोजारिया
उदयपुर / आज पूरे विश्व में एलोपेथी चिकित्सा में अनेक प्रकार के साईड इफेक्ट होने से मरीज फिजियोथेरेपी चिकित्सा को अपनाने लगे है, इसमें किसी प्रकार का कोई साईड इफेक्ट भी नहीं है व्यक्ति अपने घरों में बैठकर इस विधा के द्वारा अपने आप को ठीक कर सकता है। इसमें कई प्रकार के नवीन आयाम भी जुड़े है जो फिजियोथेरिपस्ट की सलाह से इसके अपना सकते है। उक्त विचार राजस्थान विद्यापीठ संघटक फिजियोथेरेपी चिकित्सा महाविद्यालय के 25 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय वर्कशॉप के शुभारंभ के अवसर पर कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि हर बिमारी में फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका बढी है, विद्यार्थियों को आधुनिक फिजियोथेरेपी चिकित्सा पद्धतीयांे का उपयोग कर अधिक से अधिक बीमारियों के उपचार करने पर बल दिया।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए प्राचार्य डॉ. शैलेन्द्र मेहता ने दो दिवसीय सेमीनार की जानकारी दी। डॉ. मेहता ने बताया कि सेमीनार में देश विदेश के 300 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे है।
अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर ने कहा कि प्राचीन समय से योग के माध्यम से इस विधा को अपनाते रहे है इसमें समय के साथ नवाचार का जोडा गया है।
मुख्य वक्ता के रूप में वर्कशॉप में इटली से आये हुये विषय विशेषज्ञ प्रो. बेलिया रोजारियो द्वारा विद्यार्थियों को टेपिंग, मेकेनिक टुल की मदद से शरीर के सोफ्ट टीशु व मांसपेशियों का मोबलाईजेशन पद्वति का लाईव डेमों के माध्यम से विद्यार्थियों को अवगत कराया। इसमें विभिन्न बीमारियों जैसे जलना, खेल की चोटें, कंधे की चोट, फैक्चर, गर्दन का दर्द, घुटने का दर्द, कोहनी का दर्द जैसी विभिन्न समस्याओं के उपचार की जानकारी दी।
संचालन डॉ. डॉ. प्रज्ञा भट्ट ने किया जबकि आभार डॉ0 सुमिता खाउण्ड ने जताया।
इस अवसर पर डॉ0 सुमिता खाउण्ड डॉ. विनोद नायर, डॉ. मानश क्रांति, डॉ. कार्तिक सुखवाल, डॉ0 प्रिया दाधिच, डॉ0 रोनिता सोनी, डॉ0 चिराग पुर्बिया सहित विद्यार्थी उपस्थित थे।