उदयपुर, विश्व वास्तुकला दिवस पर आरंभ हुआ उदयपुर का अद्भुत कला उत्सव ‘रंगत–रास्ता री...’ अब अपने उत्कर्ष पर है। पिछले छ: दिनों में जो हुआ, वह केवल रंगों का खेल नहीं था — वह था एक शहर का अपने लोगों के साथ मिलकर स्वयं को नया रूप देने का उत्सव। रविवार को इस उत्सव का सातवां दिन है और इस दिन उदयपुर वासियों से आह्वान है कि वे आएं और 'रंगत रास्ता री' को प्रत्यक्ष देखें।
आरटीओ अंडरपास, जो अब तक महज़ एक राह था, आज “उदयपुर का नया आर्ट लैंडमार्क” बन गया है। यहाँ की हर दीवार अब एक कहानी कहती है — गवरी, गणगौर, झीलें, मंदिर, लोककथाएँ और अपनेपन के अनगिनत रंग। इन रंगों में झलकता है वह भाव — “यह शहर हमारा है, और इसकी दीवारें हमारी पहचान हैं।”
सिर्फ कलाकार ही नहीं, बल्कि शहर का हर नागरिक इस सृजन का हिस्सा बना
पिछले छह दिनों में 4300 से अधिक लोगों ने अपने 8600 हाथों से दीवारों पर जीवन के रंग भरे। इन हाथों में थे 95 वर्ष के कर्नल किशोर पंचोली के अनुभवी ब्रश स्ट्रोक्स और 6 माह के रिधित बापना की नन्ही हथेलियाँ भी — यह दृश्य अपने आप में उदयपुर की सामूहिक चेतना का प्रतीक था।
इस उत्सव के सूत्रधार यूडीए आयुक्त राहुल जैन ने कहा कि यह आयोजन शहर की आत्मा को रंगों में अभिव्यक्त करने का माध्यम बन गया है। अब इस उत्साह को शहर के अन्य स्थानों को सजाने—संवारने में लगाने की योजना है। उत्सव संयोजक आर्किटेक्ट सुनील एस. लड्ढा ने बताया कि जो काम दस दिन में पूरा करने का लक्ष्य था, वह उदयपुर वासियों के जोश और समर्पण से केवल सात दिनों में ही पूर्णता की ओर है। “अब यह केवल एक अंडरपास नहीं रहा — यह वह स्थान बन चुका है जहाँ उदयपुर की धड़कन रंगों में सुनाई देती है,” उन्होंने कहा।वास्तुकला दिवस से आरंभ हुआ यह उत्सव आज नागरिक एकजुटता, रचनात्मकता और संवेदनशीलता का जीवंत उदाहरण बन चुका है। अर्बन स्केचर्स उदयपुर, क्रिएटिव सर्किल, एसा फॉर यू और यूडीए के सहयोग से शुरू हुई यह पहल आज पूरे शहर की साझा स्मृति बन गई है। यूडीए के साथ वंडर सीमेंट, बिरला ओपस पेंट्स, बीएनआई उदयपुर, आईआईए, आईआईआईडी, यूसीसीआई, उदयपुर ब्लॉग जैसे संस्थान इस अभियान में सहभागी बने।
अब जब इस कला यात्रा का सातवां दिन उदयपुर के इतिहास में दर्ज होने जा रहा है —
तो शहर के साढ़े चार हजार मुस्कानें, हर उदयपुरवासी को निमंत्रण दे रही हैं —
“आओ, देखो अपने शहर को रंगों में बोलते हुए। देखों रंगत रास्ता री।
यह सिर्फ अंडरपास नहीं, यह है — उदयपुर की आत्मा का कैनवास।”
रविवार को मिलिए ‘रंगत–रास्ता री...’ से —
जहाँ सृजन और सरोकार एक साथ खिलते हैं,
जहाँ हर रंग एक कहानी कहता है,
और हर दीवार कहती है — “मैं उदयपुर हूँ।”
95 वर्ष की उम्र में फिर थामा ब्रश
कर्नल किशोर पंचोली — उम्र 95 वर्ष, पर उत्साह 25 का!
जब उन्होंने ब्रश उठाकर दीवार पर पहली रेखा खींची, तो आसपास खड़े युवाओं की आँखों में प्रेरणा की चमक थी।
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि कला उम्र नहीं देखती, बस मन रंगों में डूब जाता है। कर्नल पंचोली ने अपनी नाजुक स्ट्रोक्स से अंडरपास की दीवारों पर वह संदेश उकेरा, जो हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन गया। निश्चय ही सृजन कभी बूढ़ा नहीं होता।
छह महीने की नन्ही हथेलियाँ भी बनीं कलाकार
छोटा रिधित बापना, उम्र — मात्र 6 महीने ।
माँ की गोद में बैठा यह नन्हा कलाकार जब दीवार पर अपने हाथ की छाप छोड़ रहा था, तो पूरा माहौल मुस्कुरा उठा।
वह छाप किसी रंग से नहीं, बल्कि उम्मीद और भविष्य के विश्वास से भरी थी। उदयपुर की दीवारों पर अब बचपन भी खिलखिला रहा है...।
हर देखने वाले ने महसूस किया — यह केवल पेंट नहीं, पीढ़ियों का संगम है।
टेंपसंस देगा कलाकारों को प्रोत्साहन :
उत्सव संयोजक आर्किटेक्ट सुनील एस. लड्ढा ने बताया कि अर्बन स्केचर्स कलाकारों के हौंसलें और कार्य को देखते हुए शहर की कला से जुड़ी संस्था टेंपसंस कलाकारों को प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा कलाकारों का अभिनंदन किया जाएगा।