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ज्ञान, कला और कानून का संगम—कोटा में बाल एवं युवा अधिवेशन सफलतापूर्वक संपन्न

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16 Nov 25
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ज्ञान, कला और कानून का संगम—कोटा में बाल एवं युवा अधिवेशन सफलतापूर्वक संपन्न

कोटा। राष्ट्रीय पुस्तकालय सप्ताह एवं बाल दिवस के अवसर पर राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय, कोटा में आयोजित “बाल एवं युवा अधिवेशन एवं सम्मान समारोह” ज्ञान, कला और कानून के अद्भुत संयोजन का साक्षी बना। कार्यक्रम ने बच्चों, युवाओं और अभिभावकों को न केवल शिक्षित किया, बल्कि प्रेरित भी किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मराज मीणा रहे। अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नंदकिशोर महावर ने की। अति विशिष्ट अतिथि डॉ. अनुपमा चतुर्वेदी, विशिष्ट अतिथि डॉ. ज्योति शर्मा, गेस्ट ऑफ ऑनर ममता महक, एवं आमंत्रित अतिथि ग़ज़लकार चाँद शेरी मंच पर उपस्थित रहे। संचालन वयोश्री के.बी. दीक्षित एवं मंच प्रबंधन नरेंद्र शर्मा द्वारा किया गया।


 

ज्ञान से जीवन बदलने का संदेश

उद्घाटन में संयोजक डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव, संभागीय पुस्तकालय अध्यक्ष, ने राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस और बाल दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पुस्तकालय वह स्थान हैं, जहाँ एक सामान्य बच्चा भी जीवन बदलने वाली दृष्टि प्राप्त कर सकता है। उन्होंने पुस्तकालयों को बच्चों की कल्पना, जिज्ञासा और चरित्र निर्माण का केंद्र बनाने की आवश्यकता बताई।

कार्यक्रम में बाल कलाकारों ने आकर्षक प्रस्तुतियाँ दीं—होनेश शर्मा ने बांसुरी वादन किया, जबकि नव्या शर्मा ने दोनों हाथों से भगत सिंह की तस्वीर बनाकर सबका मन मोह लिया। ममता महक ने बाल गीत प्रस्तुत किया और ग़ज़लकार चाँद शेरी ने देशभक्ति कविताओं से माहौल को भावनाओं से भर दिया।

स्वास्थ्य, अनुशासन और डिजिटल बैलेंस पर प्रेरक संदेश

अति विशिष्ट अतिथि डॉ. अनुपमा चतुर्वेदी ने स्वास्थ्य, दिनचर्या और प्राणायाम के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि मजबूत भविष्य उन्हीं युवाओं का होता है जो अपने शरीर और मन का अनुशासन समझते हैं।

विशिष्ट अतिथि डॉ. ज्योति शर्मा ने मानसिक स्वास्थ्य एवं डिजिटल उपवास की आवश्यकता समझाते हुए कहा कि तकनीक के बीच स्वयं को संभालना ही आज की सबसे बड़ी चुनौती है। डिजिटल डिटॉक्स मन को स्थिर कर आत्मविश्वास और एकाग्रता बढ़ाता है।

कानून—युवाओं की सुरक्षा की ढाल

मुख्य अतिथि धर्मराज मीणा ने भारतीय संविधान में बच्चों और युवाओं को दिए गए अधिकारों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने अनुच्छेद 21A, 24, 39E-F, 14, 15 तथा स्वास्थ्य व पोषण संबंधी प्रावधानों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि—

“अज्ञानता जोखिम बढ़ाती है, जबकि कानूनी जागरूकता व्यक्ति को मजबूत, सतर्क और जिम्मेदार बनाती है।”

उन्होंने बताया कि कानून सिर्फ अदालतों तक सीमित नहीं है, बल्कि हर नागरिक के जीवन, समाज और लोकतंत्र का महत्वपूर्ण स्तंभ है।

31 प्रतिभाओं का सम्मान

कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 31 प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया, जिनमें प्रमुख नाम शामिल हैं—
नव्या शर्मा (बाल कलाकार), होनेश शर्मा (बांसुरी वादक), प्रिंस नागवानी (नेशनल शूटर), सुभान्शु व्यास (अंडर-14 क्रिकेटर), माखन सिंह (लघुकथा लेखन विजेता) सहित अनेक युवा प्रतिभाएँ।

कार्यक्रम में तरुण कुमार शर्मा, नवीन कुमार शर्मा, शालिनी शर्मा, सानवी शर्मा, आंचल प्रजापति, हर्षिता, जीविका मेरोठा, उन्नति मिश्रा समेत कई प्रतिभागी सम्मानित हुए।

कार्यक्रम का सफल समन्वय सहायक प्रोफेसर शशांक शेखर सिंह द्वारा किया गया तथा डॉ. ओमप्रकाश सोमकुवर ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

यह आयोजन एक ऐसा मंच सिद्ध हुआ जहाँ ज्ञान, कला और कानून एकजुट होकर बच्चों और युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की दिशा तय करते हुए दिखाई दिए।


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