*डूंगरपुर नगरपरिषद के पूर्व अध्यक्ष के.के. गुप्ता ने तालाब पुनर्जीवन मिशन चलाए जाने का दिया सुझाव*
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और डूंगरपुर नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष के.के. गुप्ता ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में 17 नवम्बर सोमवार को नई दिल्ली से सटे फरीदाबाद (हरियाणा) में होने वाली उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में राजस्थान द्वारा पानी,अपराध और प्रदूषण को सबसे बड़ा मुद्दा बनाने की प्रशंसा करते हुए “तालाब पुनर्जीवन मिशन" चलाए जाने का सुझाव दिया है। इस बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमण्डल शामिल होगा।
गुप्ता ने सुझाव दिया कि देश में हर ज़िले के प्रशासन को चाहिए कि वे प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की भावना के अनुरूप स्वच्छ भारत अभियान के साथ प्रत्येक नगर में “तालाब पुनर्जीवन मिशन” भी चलाए। साथ ही अनिवार्य रूप से हर तालाब की वार्षिक जल गुणवत्ता जांच भी की जाए। स्थानीय युवाओं, विद्यालयों और पर्यावरण संगठनों को इससे जोड़ा जाए तथा तालाबों में सीवरेज और नालों का पानी गिरने पर पूर्ण रोक लगे।
गुप्ता ने सुझाव दिया कि शहरो में घटते जल स्तर के लिए दक्षिणी राजस्थान के डूंगरपुर की तर्ज पर अगर वर्षा का पानी छतो से वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से बोरिंग में डाल दिया जाए तो आने वाले समय में धरती का जल स्तर बढ़ने के साथ-साथ बोरिंग का पानी कभी समाप्त नहीं होगा । उन्होंने बताया कि डूंगरपुर के इस मॉडल को दिल्ली सहित कुछ प्रदेशों में भी अपनाया जा चुका है जिसके चर्चे आज भी लोकसभा में गूंज रहे है।
गुप्ता ने कहा कि अब वक्त है कि हर जिले में करीब 200 तालाबो को सुदृढ़ बनाने की योजना बनाई जाए अन्यथा पानी की कमी गाँवो एवं शहरो में रहने वाले आमजन के लिए बहुत बडा संकट खड़ा कर देगी । धरती को सींचने के लिए सिर्फ जलाशयों को हर हाल में भरना पड़ेगा तथा विकास के कार्यो के साथ जलाशयों को सोंदर्यकरण एवं सुदृढीकरण का कार्य भी करना पड़ेगा जोकि देश को प्रगतिशील एवं विकसित भारत बनाने में बहुत बड़ा योगदान साबित होगा,अन्यथा जलाशय समाप्त हों जायेगे तथा इसके साथ ही हमारी सभ्यता और संस्कृति भी ख़त्म हो जाएगी।
गुप्ता ने कहा कि तालाब कभी हमारी संस्कृति, सौंदर्य और जल-संरक्षण की पहचान माने जाते थे मगर अब यही तालाब जलकुंभी के हरे “गलीचे” में दबे कराह रहे हैं। पानी आवक के रास्तो पर अतिक्रमण हो रहा है जिससे तालाब गन्दगी के अड्डे बन चुके है ।जलकुम्भी हरियाली नहीं, दरअसल मौत का हरा आवरण है जो धीरे-धीरे हमारे जलाशयों की सांसें रोक रहा है। अगर हम तालाबो को शुद्ध पानी से भर देते है तो गाँवो में पानी की कमी जड़ से समाप्त हो जाएगी किसान तालाबो के पानी से खेती सींच पाएंगे, गाँवो के जानवरों को पीने का पानी आसानी से उपलब्ध हो जायेगा तथा धरती का जल स्तर भी बढ़ जायेगा। यह केवल एक तालाब की नहीं, बल्कि पूरे देश की चेतावनी है। अगर अब भी सरकारें नहीं जागीं, तो आने वाली पीढ़ियों को हम “तालाब” नहीं, “दलदल” विरासत में देंगे।
उन्होंने कहा कि तालाब नगर की हरियाली का प्रतीक होता है, जहां सर्दियों में विदेशी पक्षी उतरते है, बच्चे किनारों पर खेलते थे और जल की लहरें जीवन की लय सुनाती है मगर आज वही तालाब गंदगी, अतिक्रमण, दल दल तथा जलकुंभी के शिकार हो गए है। राजस्थान ही नहीं देश के हजारो तालाब इसी ख़तरे से जूझ रहे हैं। जलकुंभी की बेलें हर तरफ फैलकर जल की सतह को ढक रही हैं। परिणाम ऑक्सीजन की कमी, मछलियों की मौत, जलीय पौधों का दम घुटना और जलाशयों की गुणवत्ता का विनाश कर रही है।
यह एक पर्यावरणीय आपातकाल है, जिसे हम अब भी “प्राकृतिक समस्या” समझकर टाल रहे हैं। सच्चाई यह है कि अतिक्रमण, गंदगी, दलदल तथा जलकुंभी का बढ़ना लापरवाही का परिणाम है। नगर निकाये एवं पंचायते केवल सफाई के काग़ज़ी अभियान चलाती हैं, मगर स्थायी समाधान पर कोई योजना नहीं बनती। सीवरेज और गंदे नालों का पानी तालाबों में गिरता रहता है, जिससे जलकुंभी को खाद मिलती रहती है और वह बेल एक बेलगाम राक्षस बन जाती है।
गुप्ता ने कहा कि अमित शाह की अध्यक्षता में फरीदाबाद में होने वाली उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में पंजाब सहित अन्य प्रदेशों के साथ राजस्थान के जल एवं विद्युत सम्बन्धी वर्षों से लम्बित मुद्दों का निपटारा किया जाना चाहिए। साथ ही पंजाब से इन्दिरा गांधी नहर की नहरों में आने वाले प्रदूषित पानी की समस्या के साथ ही दिल्ली एन सी आर में प्रदूषण को लेकर होने वाली सख्ती से राजस्थान में पड़ने वाले असर पर भी प्रभावी चर्चा और निर्णय किए जाने चाहिए ।