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आनन्दालय आचार्यों की बैठक में tribal विकास-केन्द्रित शिक्षा व संस्कार पर जोर

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25 Dec 25
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आनन्दालय आचार्यों की बैठक में tribal विकास-केन्द्रित शिक्षा व संस्कार पर जोर

बांसवाड़ा — विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की अखिल भारतीय उपाध्यक्ष पद्मश्री सुश्री निवेदिता भिड़े ने कहा कि जनजाति क्षेत्रों के पिछड़े और उपेक्षित वर्ग को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए शिक्षा, संस्कार और जागरूकता को प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाना होगा। वे बांसवाड़ा जिले के छोटा डूंगरा स्थित शान्त सेवा आश्रम की शान्ति सेवा कुटी में आयोजित आनन्दालयों के आचार्यों की बैठक को संबोधित कर रही थीं। बैठक में कुशलगढ़ और सज्जनगढ़ क्षेत्र के सभी 66 आनन्दालयों के आचार्य, प्रान्त प्रतिनिधि और स्थानीय कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

निवेदिता दीदी ने आचार्यों से आह्वान किया कि वे शैक्षिक गुणवत्ता सुधार, संस्कार निर्माण, पर्यावरण जागरूकता, बच्चों को शिक्षा से जोड़ने, मानवीय मूल्यों के विकास और ग्राम्य जीवन के सर्वांगीण उत्थान में सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि आनन्दालयों की बहुआयामी रचनात्मक गतिविधियाँ समाज में सकारात्मक परिवर्तन का माध्यम बन रही हैं।

इस अवसर पर आनन्दालयों के लिए ब्लैकबोर्ड, स्टेशनरी, तिरपाल, दरियां, खेल सामग्री आदि वितरित की गईं। बैठक में प्रान्त संचालक शकुन्तला दीदी, प्रान्त प्रमुख भगवान सिंह, प्रकल्प प्रमुख कान्तिलाल व्यास सहित अनेक पदाधिकारियों ने विचार व्यक्त किए और गतिविधियों के प्रभावी क्रियान्वयन पर सुझाव दिए। बताया गया कि आनन्दालयों के माध्यम से संस्कारवान पीढ़ी के निर्माण, शिक्षा-दीक्षा, स्वास्थ्य जागरूकता और समग्र ग्रामीण विकास के प्रयासों को और गति दी जाएगी।

सन्त रामप्रकाश रामस्नेही महाराज ने कहा कि आनन्दालय शिक्षा-संस्कार और चेतना के केन्द्र के रूप में जनजाति क्षेत्रों में नई जागृति का संचार कर रहे हैं। कार्यक्रम में वागड़ी गीत, भजन, नृत्य और पारंपरिक गैर नृत्य ने माहौल को लोकसौंध से भर दिया। निवेदिता दीदी ने ग्रामीणों से संवाद किया, स्थानीय जीवन-शैली को समझा और उनके साथ भोजन साझा किया।


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