GMCH STORIES

समाचार पत्र सामाजिक सरोकारों को भी  बखूबी निभा रहे हैं....

( Read 1676 Times)

17 Nov 25
Share |
Print This Page
समाचार पत्र सामाजिक सरोकारों को भी  बखूबी निभा रहे हैं....

 व्यावसायीकरण और राजनीतिक प्रभाव होने के बावजूद भी समाचार पत्र सामाजिक सरोकारों को भी बखूबी निभा कर अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। साहित्य, धर्म -समाज, परम्पराओं, सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करते हुए समाज और सरकार के बीच सेतु का कार्य करते हैं।
      यह विचार आज संस्कृति, साहित्य, मीडिया फोरम कोटा के संयोजक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल द्वारा राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर आयोजित मोबाइल ग्रुप समूह संगोष्ठी में साहित्यकारों और पत्रकारों ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा सामाजिक सरोकारों के साथ -  साथ लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका की वजह से आज भी चौथे स्तंभ के रूप में मजबूत पहचान बनाए हुए है। 
       ओडिशा के साहित्यकार दिनेश कुमार माली ने कहा प्रेस हमारे लोकतंत्र का सबसे प्रमुख स्तंभ है जो  सामाजिक परिदृश्यों को बदलने की अहम भूमिका होती है। जब-जब राजनीति लड़खड़ाती है, तब-तब ईमानदार एवं निडर प्रेस ही उसे सँभाल सकती है। 
      सलूंबर की बाल साहित्यकार डॉ. विमला भंडारी ने कहा आजादी के समय जो प्रेस में भूमि का निभायी उसका यह आज दिन तक असर कायम है कि व्यक्ति का विश्वास प्रिंट मीडिया पर कायम है। अखबार या पत्र- पत्रिकाओं में छपी खबर को जनता सत्य मानती है  प्रेस का भी यह दायित्व रहा कि उसने सच्चाई को कभी नहीं छुपाया और जनता के सम्मुख रखा। इतना ही नहीं उसने आगे बढ़कर मार्गदर्शन भी दिया इसीलिए प्रेस को मशाल के रूप में भी चिन्हित किया गया है।
       अजमेर के साहित्यकार और मीडिया विशेषज्ञ डॉ .संदीप अवस्थी ने कहा पत्रकारिता सच्चे अर्थों में राष्ट्र और उसके नागरिकों के लिए एक त्याग,समर्पण है।
तभी पत्रकार रात दिन कार्य करते हैं। माखनलाल चतुर्वेदी,माधव सपरे,महावीर प्रसाद द्विवेदी,राजेंद्र माथुर,धर्मवीर भारती, प्रभाष जोशी,कन्हैयालाल नंदन,एसपी सिंह,विनोद मेहता आदि की लंबी  समृद्ध परम्परा है। इनकी शैली पर पत्रकारिता के पाठ्यक्रम में किताब होनी चाहिए। जयपुर के साहित्यकार नंद भारद्वाज प्रेस की निष्पक्षता पर जोर देते हैं। 
      कोटा के साहित्यकार राजकुमार प्रजापति ने कहा प्रेस का सामाजिक सरोकार समाज के विकास और कल्याण के लिए उसकी भूमिका से जुड़ा होता है। जब मीडिया निष्पक्षता और ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करती है, तो उसके कई सकारात्मक सामाजिक प्रभाव होते हैं: - जनजागरण, सत्य की खोज, लोकतंत्र की रक्षा, सामाजिक एकता और सद्भावना, सकारात्मक पहल की प्रेरणा और वंचित वर्गों की आवाज बनती है। 
       साहित्यकार रामेश्वर शर्मा ' रामू भैया ' ने कहा समाज के आर्थिक , धार्मिक, आपराधिक, राजनीतिक,  स्वास्थ्य , शिक्षा  , विचार अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता और सीमा, आदि  अनेकों बीसियों सरोकारो को आज प्रेस की मदद के बिना आवाज मिलने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। जिम्मेदार प्रेस ही राष्ट्रीय- अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों  में शान्ति तथा सौहार्द की नींव को ठोस धरातल देता है।  
     कोटा की साहित्यकार डॉ .वैदेही गौतम ने कहा मानव सभ्यता के विकास में प्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रेस के माध्यम से प्रकाशित व प्रसारित संदेशों की प्रकृति सार्वजनिक होती है जो समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंचती है, सहृदय पाठक का साधारणीकरण प्रेस के माध्यम से ही होता है , अतः प्रेस समाज के उत्थान व विकास के लिए अत्यावश्यक है। विजय जोशी ने कहा प्रेस से जुड़े सभी आयाम यथा पत्रकार और लेखक तथा इनके विचारों को मुद्रित करने में अपरोक्ष रूप से सहयोग करने वाले व्यक्ति और व्यक्ति समूह परिवर्तित होते जा रहे समाज के समक्ष जीवन मूल्यों की आभा को दृष्टिगोचर करने में लगें हैं।
     कवि और लेखक विवेक कुमार मिश्र ने कहा मीडिया आम आदमी के संघर्ष को केंद्र में रखकर कार्य करता है। कोई भी मीडिया क्यों न हो वह जनता की आवाज को सामने लाता है। मीडिया की विश्वसनीयता भी जन जन की आवाज को उठाने में ही है।
     डॉ.अपर्णा पांडेय ने कहा पत्रकार अनेक दबावों के मध्य भी सजग प्रहरी की तरह अपना धर्म निभाता रहा है। पूर्व मुख्य प्रबन्धक स्टेट बैंक विजय माहेश्वरी ने कहा प्रेस समाज के विभिन्न वर्गों की नीति, परंपराओं, मान्यताओं तथा सभ्यता एवं संस्कृति के प्रहरी के रूप में भूमिका निभाती है। प्रेस  सरकारों और जनता के मध्य भी सेतु का काम करती है।  प्रेस किसी भी प्रकार के दबाव, लोभ या डर से दूर रहकर अपनी शक्ति का सदुपयोग जनहित में करे और समाज का मागदर्शन करे। संयोजक ने सभी का आभार व्यक्त किया।
--------------------


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like