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अब राजस्थान भी जाना जायेगा बंदरगाह के लिए 

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21 Nov 25
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अब राजस्थान भी जाना जायेगा बंदरगाह के लिए 

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

राजस्थान के लिए प्रायः यह कहा जाता है कि राजस्थान में सबकुछ है लेकिन रेगिस्तान प्रधान इस प्रदेश में समुद्री तट और बर्फ नहीं है लेकिन अब यह कहावत बदलने वाली है चूंकि प्रदेश अब अरब सागर से सीधे जुड़ने वाला है और जालोर में इनलैंड पोर्ट बनने वाला है तथा यह मरु प्रदेश राजस्थान अब समुद्री रास्ते से भी औद्योगिक विकास, व्यापार और आर्थिक समृद्धि का सफर तय करेगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना में जालोर जिला कच्छ की खाड़ी के जरिए अरब सागर से सीधे जुड़ेगा। इसके लिए जालोर में इनलैंड पोर्ट (वाटर-वे) तैयार करने की कवायद  शुरू हो गई है। 

 

केंद्र और राज्य सरकार के मध्य बेहतर समन्वय से प्रदेश की अर्थव्यवस्था में यह निर्माण एक ऐतिहासिक परिवर्तनकारी साबित हो सकेगा। यहां से उद्योग, लॉजिस्टिक्स, रोजगार और जलमार्ग कनेक्टिविटी के नए युग की शुरुआत होगी।आने वाले समय में राजस्थान भी समुद्री राज्यों में शामिल होते हुए लॉजिस्टिक पावरहाउस बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा। इनलैंड पोर्ट निर्माण को लेकर गत माह मुम्बई में राजस्थान रिवर बेसिन एवं जल संसाधन आयोजना प्राधिकरण और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण, केन्द्र सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण एमओयू हस्ताक्षर किया गया। इसके तहत गुजरात और राजस्थान में ड्रेजिंग से अरब सागर से जालोर को जोड़ा जाएगा। इसके जरिए राजस्थान समुद्री कनेक्टिविटी के नए युग में प्रवेश करेगा। जवाई-लूनी-रन ऑफ कच्छ नदी प्रणाली को राष्ट्रीय जलमार्ग-48 घोषित होने के बाद जालोर में इनलैंड पोर्ट (वाटर-वे) विकसित करने की दिशा में यह सबसे बड़ा कदम है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना में राजस्थान प्रत्यक्ष रूप से कांडला पोर्ट (कच्छ) से जुड़ जाएगा। अभी जालोर तक जलमार्ग बनाने के लिए रास्तों पर अध्ययन किया जा रहा है। इसमें भवातरा-नवलखी मार्ग कांडला क्रिक (लगभग 262 कि.मी.) मार्ग भी शामिल है। एमओयू के अनुसार, ड्रेजिंग में 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक राशि व्यय होगी। 

 

प्रदेश के जल संसाधन मंत्री  सुरेश सिंह रावत ने बताया कि जलमार्ग की डीपीआर पर भारतीय अन्तर्देशीय जलमार्ग विकास प्राधिकरण, नेशनल टेक्नोलॉजी फॉर पोर्ट, वाटर-वे एंड कोस्ट, आईआईटी मद्रास और जल संसाधन विभाग द्वारा सर्वे किया जा रहा है। इसमें वर्षभर जल की उपलब्धता, परियोजना के लिए जमीन और अनुमानित लागत पर गहन अध्ययन हो रहा है। फील्ड स्टडी के लिए आईआईटी मद्रास से विशेषज्ञ जल्द ही राजस्थान आएंगे। वहीं, जल संसाधन विभाग राजस्थान, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण और आईआईटी मद्रास के बीच नियमित संवाद के जरिए परियोजना की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। प्रदेश के लूनी-जवाई बेसिन और जालोर-बाड़मेर क्षेत्र में कपड़ा, पत्थर, कृषि उत्पाद, ऑयलशीड, ग्वार, दालें व बाजरा जैसी बड़ी ट्रेडिंग गतिविधियां होती हैं। साथ ही, रिफाइनरी परियोजना भी नजदीक ही है। समुद्री कनेक्टिविटी मिलने से उद्योगों का विस्तार तेजी से बढ़ेगा। कार्गो का बड़ा हिस्सा जलमार्ग से होने से सड़क और रेल पर भार कम होगा। श्री रावत ने बताया कि माल ढुलाई क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। भारी एवं बड़े आकार के माल की आवाजाही सरल होगी, जिससे नई इंडस्ट्री स्थापित होने के रास्ते खुलेंगे। साथ ही, वेयर हाउसिंग, पोर्ट सेवाएं, कोल्ड स्टोरेज और इंडस्ट्रियल क्लस्टर विकसित होंगे। 

 

वाटर एंड पावर कंसल्टेंसी सर्विसेज की एक प्री फिजीबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान एवं गुजरात सहित आसपास के क्षेत्रों में 50 हजार से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। इनलैंड पोर्ट से अब निवेशकों की नजरें भी प्रदेश की ओर से हैं। मुम्बई में 28 अक्टूबर को इंडिया मैरीटाइम वीक, 2025 आयोजित हुआ। इसमें राजस्थान रिवर बेसिन एवं जल संसाधन आयोजना प्राधिकरण के मुख्य अभियंता राजपाल सिंह और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण, वित्त (सदस्य) के के.के. नाथ के मध्य एमओयू हस्ताक्षर हुए। 

 

प्रदेश के मंत्री सुरेन्द्र रावत कहते है कि 

"मुख्यमंत्री  भजनलाल शर्मा की दूरदर्शी और मजबूत औद्योगिक विकास की सोच से परियोजना सरकार की प्राथमिकता में रही है।   केन्द्र सरकार स्तर पर उच्चस्तरीय बैठकें कर आगे बढ़ाया गया। औद्योगिक विकास की दृष्टि से यह परियोजना संकल्प से सिद्धि की ओर बढ़ता कदम है। जल संसाधन विभाग की प्राथमिकता सूची में परियोजना हमेशा शीर्ष पर है। नियमित निगरानी के लिए भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण और केंद्र सरकार से निरंतर संवाद कर समन्वय स्थापित किए जा रहे हैं। राज्य सरकार के इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि राजस्थान भी समुद्री राज्यों में शामिल हो सकेगा।"  सर्दियों के सीजन में राजस्थान की माउंट आबू झील में बर्फ जमने लगी है तथा चूरू में देश का सबसे कम तापमान रहता है तथा अब समुद्र तट से निकटता हो जाने पर राजस्थान भी थल, नभ के साथ जल से जुड़ जायेगा।


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