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41 बार रक्तदान कर चुकी साहित्यकार डॉ.सुशीला जोशी का भोर के तारे कृति पर होगा सम्मान

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25 Dec 25
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41 बार रक्तदान कर चुकी साहित्यकार डॉ.सुशीला जोशी का भोर के तारे कृति पर होगा सम्मान

कोटा ,/  कोटा की साहित्यकार डॉ. सुशीला जोशी को उनकी कृति "भोर के तारे" बाल काव्य संग्रह पर आगामी 5 से 7 जनवरी 26 को नाथद्वारा में आयोजित होने वाले श्री भगवतीप्रसाद देवपुरा स्मृति एवं राष्ट्रीय बाल साहित्यकार समारोह में साहित्य मंडल की ओर से सम्मानित किया जाएगा।
     डॉ. सुशीला जोशी की बाल कविता संग्रह कृति  भोर के तारे की कविताएं बाल मन को छू कर उनके दिल में सीधे उतर जाती है। कविताएं ठीक वैसे ही बच्चों को कोई न कोई ज्ञान का उजाला दे जाती हैं जैसे भोर का तारा कुछ देर रोशनी दे कर छिप जाता है। बहुत ही सरल भाषा में लिखा होना इनकी विशेषताएं हैं। हर कविता बाल मनोविज्ञान पर खरी उतरती है। कविताओं में बोलता है बाल मन। कृतिकार अच्छी तरह जानती है बच्चों को क्या पसंद आयेगा, उन्हें सरल रूप से संदेश कैसे दिया जाए, उनका मनोरंजन भी हो और जीवन में कोई न कोई पाठ भी सीखें। इन बिंदुओं पर कविता रचते समय उनका पूरा फोकस रहा है।
कुछ कविताएं आपस में संवाद करती हैं। भोर के तारे' डॉ. सुशीला जोशी का प्रथम बाल कविता संग्रह बच्चों के लिए तो एक सुंदर उपाहार है ही - बाल साहित्यकारों के लिए भी अनमोल सौगात है।
परिचय और उपलब्धियां :
डॉक्टर सुशीला जोशी  मां भारती पीजी कॉलेज कोटा की पूर्व उपाचार्य हैं। इन्होंने हिंदी में अधिस्नातक कर  स्वातंत्र्योत्तर हिंदी पत्रकारिता विषय पर राजस्थान विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है।राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी जयपुर से 1985 में इनकी पुस्तक " हिंदी पत्रकारिता विकास और विविध आयाम" प्रकाशित हुई जिस पर आपको वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री जी के द्वारा सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया है। देश की कई पत्र-पत्रिकाओं ,शोध जनरल आदि में सैकड़ों लेख, कहानियां ,कविताएं प्रकाशित हुई हैं और प्रकाशन का क्रम निरंतर जारी है। आकाशवाणी जयपुर और कोटा केंद्र से आपकी विभिन्न विषयों पर वाद-विवाद ,लेख कहानियां कविताएं भी प्रसारित हुई हैं। दैनिक पत्रों में स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कार्य किया है। आप महावीर वर्धमान कोटा खुला विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में काउंसलर के पद पर भी रही हैं। खेलों के प्रति रुचि होने से विद्यार्थी जीवन में 
बास्केटबॉल ,खो -खो, थ्रो वॉल आदि में अनेक पुरस्कार प्राप्त किए है। मानव सेवा में रक्तदान को पावन और पुनीत कार्य मानते हुए स्वयं 41 बार रक्तदान कर चुकी हैं। अपने कई साहित्यिक और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में भाग ले कर पुरस्कार प्राप्त किए हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ कर साहित्य सेवा और सृजन में सक्रिय है।


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