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संसार में वे पुण्यशाली जिनका लक्ष्य निर्धारित है : जगद्गुरु श्री वसन्त विजयानन्द गिरीजी महाराज

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25 Dec 25
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संसार में वे पुण्यशाली जिनका लक्ष्य निर्धारित है : जगद्गुरु श्री वसन्त विजयानन्द गिरीजी महाराज

सृजन द स्पार्क संस्था के आयोजन में गुरुदेव ने जीवन दर्शन और उत्कृष्ट जीवन पद्धति पर दिया मार्गदर्शन
भाव विभोर हुए भक्त, श्रोता
उदयपुर।
 यदि आपके जीवन में कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं है तो आपका जीवन निरर्थक है। संसार में सबसे बड़े पुण्यशाली वे हैं जिनके जीवन का कोई न कोई लक्ष्य निर्धारित है। मनुष्य जीवन अनमोल है, यह पुण्यों से मिलता है। इसे बिना लक्ष्य के व्यर्थ न गवाएं। यह बात कृष्णगिरी पीठाधीश्वर पूज्यपाद जगद्गुरु श्री वसंत विजयानन्द गिरीजी महाराज ने सामाजिक संस्था 'सृजन द स्पार्क' द्वारा श्री महालक्ष्मी यज्ञ महोत्सव परिसर में आयोजित व्याख्यान में कही।
'जीवन दर्शन एवं उत्कृष्ट जीवन पद्धति' विषय पर जगद्गुरु वसन्त विजयानन्द गिरीजी महाराज ने कहा कि कई बार व्यक्ति लक्ष्य निर्धारित करना चाहता है लेकिन उस दिशा में आगे बढ़ने की उसमें हिम्मत नहीं होती। इसलिए मेरी कोशिश है कि अपनी साधना से जनमानस को हिम्मत दे सकूं। जगद्गुरु वसंत विजयानन्द गिरीजी ने कहा कि असम्भव कुछ भी नहीं है। अवचेतन में जो सोचेंगे, बोलेंगे, वह हो जाता है। जीवित अजीवित को विज्ञान ने क्वार्क मान लिया है। दुनिया क्या कहती है यह मायने नहीं रखता, आपके मन के भीतर क्या है वह मायने रखता है। दुनिया शांति की तलाश में है। आप मेच्योर हो जाएं तो शांति अपने आप आने लगती है। बालमन चंचल होता है।
गुरुदेव ने कहा कि मनुष्य असीमितता का स्वामी है। उन्होंने हेनरी फोर्ड, फ़िल्म टाइटेनिक के सुंदर उदाहरणों की व्याख्या करते हुए बेहतर निर्णयों के साथ जीवन जीने की सीख दी।
जगद्गुरु जी ने कहा कि यह मायने नहीं रखता कि दुनिया आपकी बात पर हां करती है या ना। बल्कि यह मायने रखता है कि आपका जुनून कितना जबरदस्त है। जब तक आपके भीतर समृद्धि का विचार है, तब तक आपको कोई दिवालिया नहीं बना सकता। यदि कोई दिवालिया बनता है तो वह मन की सोच से होता है। इसलिए सदैव सकारात्मक और ऊंचा सोचिये। मिसिंग टाइल्स सिंड्रोम के उदाहरण से गुरुदेव ने सोच का शानदार दर्शन समझाया। उन्होंने कहा कि ईश्वर सदैव मन की सटीक ईमानदारी से खुश होगा। भावुकता पर नियंत्रण आवश्यक है। ब्रीद कंट्रोल करिये इमोशन कंट्रोल हो जाएंगे। करीब दो घंटे के इस जीवन ज्ञान सत्र में पूज्यपाद जगद्गुरु श्री वसंत विजयानन्द गिरीजी महाराज के श्रीमुख से निकले व्याख्यान को श्रोता भाव विभोर होकर सुनते ही रहे।
प्रारंभ में संस्था अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा, रिटायर्ड आईपीएस व संस्था के मुख्य संरक्षक प्रसन्न कुमार खमेसरा ने पुष्पाहार से महाराजश्री का स्वागत किया। अब्बास अली बंदूकवाला ने उपरणा ओढ़ा कर गुरुदेव का अभिनन्दन किया। स्वागत भाषण पूर्व अध्यक्ष श्याम एस सिंघवी ने दिया। संचालन रेखा देवपुरा ने जबकि आभार महासचिव राजेंद्र भंडारी ने व्यक्त किया।
गुरुदेव ने बरसों पुराने घुटनों के गहरे दर्द से दिला दिया चंद मिनटों में छुटकारा :
इस कार्यक्रम के दौरान गुरुदेव उपस्थित श्रोताओं से संवाद भी करते जा रहे थे। इसी बीच उन्होंने कहा कि किसी को कोई पुरानी बीमारी हो तो वे खड़े हो जाएं। तभी संस्था अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा की धर्मपत्नी मोतीबाला ने उठकर गुरुदेव को बताया कि उनके घुटनों में वर्षों से ऐसा दर्द है कि ठीक से उठ बैठ नहीं पाती। गुरुदेव ने ध्यान किया और मंत्रों की सिद्ध शक्ति से श्रीमती शर्मा के घुटनों का दर्द हमेशा के लिए मिटा दिया। यह देख सभागार में मौजूद श्रोताओं के आश्चर्य का ठिकाना न रहा। श्री एवं श्रीमती शर्मा ने गुरुदेव के चरणों मे बारंबार वंदन कर आभार व्यक्त किया। इस दौरान गुरुदेव ने उपस्थितजनों को चंदन, इत्र, मोगरा, गुलाब की महक का अहसास भी कराया। उपस्थित जन इस दृश्य को देख जगद्गुरु की जयजयकार करने लगे। जगद्गुरु श्री वसंत विजयानन्द गिरी जी ने कहा कि भारत की आध्यात्मिक शक्ति में ब्रम्हांड समाहित है। मंत्र, साधना की शक्तियां असीमित होती है। उन्होंने कहा कि मंत्र के हर शब्द के उच्चारण और शैली का अलग अलग गहरा प्रभाव होता है। इसके माध्यम से जग कल्याण अनवरत जारी है।
व्याख्यान में राज्यपाल के सलाहकार व पूर्व उप कुलपति कैलाश सोडानी, सृजन के एपेक्स अध्यक्ष राजेश खमेसरा, भूपेंद्र बाबेल, अनिल मेहता, दिलीप सुराणा, किशोर पाहुजा, प्रकाश बोलिया समेत बड़ी संख्या में प्रबुधजन, महिलाएं, युवा उपस्थित रहे।


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